29 सितम्बर को विश्व हृदय दिवस से पूर्व हाइटेक का जागरूकता पखवाड़ा
भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अश्लेष तिवारी ने कोविड संबंधी समाचारों की बाढ़ पर चिंता व्यक्त करते हुए लोगों से अपील की है कि वे इन खबरों को ज्यादा न देखें-सुनें-पढ़ें, बल्कि अपने आप को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने के उपाय ढूंढें। उन्होंने कहा कि कोरोना की खबरों से जहां तनाव बढ़ रहा है वहीं वर्क फ्राम होम भी उसे बढ़ा रहा है। फिजिकल एक्टिविटीज बहुत कम हो गई हैं जो दिल के लिए किसी भी सूरत में अच्छा नहीं है। डॉ अश्लेष ने कहा कि कोरोना इस कदर लोगों पर हावी हो गया है कि लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना ही भूल गए हैं। कुछ लोग जहां संक्रमण के भय से अस्पतालों से दूर रह रहे हैं वहीं कुछ लोग साधन और संसाधन के अभाव के कारण अपनी नियमित दवाइयां नहीं ले पा रहे हैं। रूटीन चेकअप भी टल रहा है। कोरोना से लड़ने के लिए हृदय का स्वस्थ रहना भी उतना ही जरूरी है जितना कि मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करना।
कोरोना से उभरी परिस्थितयों में 40 पार के लोग खतरे में आ गए हैं। लोगों का घर से निकलना बंद हो गया है। शारीरिक गतिविधियां थम सी गई हैं। इस स्थिति से उबरने के लिए यह जरूरी है कि हम दोनों मोर्चों पर काम करें। पहला तो यह कि तनाव पैदा करने वाले समाचारों से दूर रहें। समय काटना ही है तो टीवी पर कॉमेडी अथवा अन्य मनोरंजन के चैनल देखें, कोई मूवी देखें। साथ ही अपना सब काम खुद करने की कोशिश करें – मसलन अपने कपड़े खुद धोएं, दो तीन बार झाड़ू लगा लें, कोई बड़ा कमरा या छत हो तो वहां जाकर कम से कम 25-30 मिनट तक बिना उपकरण के की जाने वाली हल्की फुल्की कसरत करें।
ऐसे लोग जिन्हें हृदय रोगों का खतरा है, जिनकी दवाइयां चल रही हैं वे सतत् अपने डॉक्टर के सम्पर्क में रहें। दवाइयां किसी भी कीमत पर बंद न करें। घर पर कोई न हो तो किसी पड़ोसी की मदद से दवाइयां मंगवा लें। चेकअप जरूरी होने पर अप्वाइंटमेंट लेकर अपने चिकित्सक से जरूर मिलें।
याद रखें कि भारत में 5 करोड़ 45 लाख लोग हृदय रोगों से जूझ रहे हैं। प्रति चार मौतों में से एक मौत हृदय रोगों के कारण होती है। अकेले अमेरिका में प्रत्येक 35 सेकण्ड में एक व्यक्ति की मौत हृदयरोगों से हो जाती है। वहां प्रतिवर्ष 6 लाख 55 हजार लोगों की मौत हृदय रोगों से होती है जो कि कुल मृत्यु के मामलों का 25 फीसद हिस्सा है।