वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे पर श्री शंकराचार्य महाविद्यालय व संडे कैम्पस ने किया वेब-वर्कशॉप का आयोजन
भिलाई। विश्व भौतिक चिकित्सा दिवस (वर्ल्ड फिजियोथेरेपी) दिवस पर आज शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी ने संडे कैम्पस के साथ संयुक्त रूप से एक वेब-वर्कशॉप का आयोजन किया। दक्षिण-पूर्व-मध्य-रेलवे से जुड़ी फिजियोथेरेपी एक्सपर्ट डॉ शंगीता भट्टाचार्य इस कार्यशाला की मुख्य वक्ता थीं। उन्होंने वर्क फ्राम होम की चुनौतियों की चर्चा करते हुए इससे बचने के उपाय बताए।आरंभ में आरंभ में महाविद्यालय की निदेशक डॉ रक्षा सिंह ने वेब-वर्कशॉप को समस्त कार्यालयीन कर्मचारियों के साथ ही व्याख्याताओं एवं प्राध्यापकों के लिए लाभदायक बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के इस दौर से निपटने में फिजिकल थेरेपी किस तरह सहयोगी साबित हो सकती है इस पर इस तरह का यह संभवतः पहला आयोजन है। कार्यक्रम में महाविद्यालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव, संडे कैम्पस के संपादक दीपक रंजन दास विशेष रूप से उपस्थित थे।
डॉ शंगीता ने बताया कि डिजिटल प्लैटफार्म पर काम करना अधिकांश लोगों के लिए एक नया अनुभव है। पर इसके साथ ढेर सारी चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं। इससे डेस्कटॉप, लैपटॉप या मोबाइल फोन, आईपैड पर घंटों काम करने की मजबूरी आ गई है। इसके साथ ही रीढ़, गर्दन, कंधे, कलाइयों में दर्द की समस्या बढ़ रही है। सिरदर्द और कमर दर्द भी परेशान कर रहा है। थोड़ी सी सावधानी बरतकर इन समस्याओं से काफी हद तक बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि स्क्रीन टाइम बढ़ने के साथ गर्दन में खिंचाव उत्पन्न होने की समस्या आम है। इससे बचने के लिए स्क्रीन को ऐसे पोजीशन करें कि गर्दन लगभग सीधी रहे। की-बोर्ड और माउस ऐसी स्थिति में हों कि हाथ कलाइयां कुहनी से अधिक उठी हुई न रहें। प्रत्येक 30 मिनट में एक छोटा सा ब्रेक लें। आप भले ही सुबह कसरत करते हों पर ऐसा करने से आपको शेष दिन कुर्सी तोड़ने की इजाजत नहीं मिल जाती।
गर्दन के दर्द से निपटने के लिए उन्होंने न ज्यादा नर्म और न ही ज्यादा कठोर तकिये का उपयोग करने की सलाह दी। ऐसे ही कुशन का उपयोग बैठते समय कमर को सपोर्ट देने के लिए भी करने को कहा। साथ बैठे बैठे काम करते समय पैरों को हरकत देने के तरीके भी बताए। उन्होंने कहा कि बैठे बैठे भी हम अपने शरीर को इधर उधर घुमा कर पीठ और कमर को आराम दे सकते हैं।
मोटापे को बैठ कर काम करने वालों की प्रमुख समस्या बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे पेट की मांसपेशियों में शिथिलता आ जाती है और वह लटक जाता है। अच्छा होगा कि आप बैठे बैठे पेट को भीतर खींचकर नाभी को रीढ़ से चिपकाने की कोशिश करें। लंबी गहरी सांसें लें और मुंह को छोटा कर तीव्र गति से सांस छोड़ने का अभ्यास करें।
वेब-कार्यशाला का संचालन प्रो. संदीप जसवंत ने किया। लगभग सवा घंटे की इस कार्यशाला में पचास से अधिक व्याख्याता एवं प्राध्यापक ऑनलाइन जुड़े रहे।