दुर्ग। देश के अन्य प्रमुख राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी छत्तीसगढ़ अकादमी ऑफ साइंसेस की स्थापना आवश्यक है। इससे अकादमिक विशेषताज्ञों एवं उद्योगों, चिकित्सा तथा समाजसेवा के क्षेत्र में नई शोधों को बढ़ावा मिलेगा। ये उद्गार नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेस इंडिया के मुंबई चैप्टर के प्रमुख डॉ अनिल कुमार सिंह ने व्यक्त किये। प्रोफेसर अनिल सिंह शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के रसायनशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित ’’कोविड-19 की रोकथाम में फंक्शनल नेनोयटोरियल का उपयोग’’ विषय पर आयोजित दो इिवसीय इंटरनेशनल वेबीनार में अपना उद्बोधन दे रहे थे। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि कोविड-19 आज समूचे विश्व के लिए चुनौती है। हमें मिलकर इसका समाधान निकालना होगा। इससे पूर्व वेबीपार के आयोजन सचिव डॉ अजय सिंह ने दो दिवसीय वेबीनार के दौरान दिये गये आमंत्रित व्याख्यानों की गुणवत्ता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस वेबीनार से हमारे प्रतिभागियों को नवीनतम् जानकारी मिली है।
कार्यक्रम की संचालक डॉ सुनीता मैथ्यू ने प्राचार्य डॉ आर. एन. सिंह की अनुपस्थिति में उनका शुभकामना संदेश पढ़ा। समापन समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेकनालाजी के महानिदेशक मुदितकुमार सिंह ने सभी शोधकर्ताओं का आव्हान किया कि वेटेकनालॉजी का प्रयोग समाज की समस्याओं के निराकरण हेतु करें। केवल पढ़ाइ अथवा डिग्री के लिए थीसिस न बनावें। समाज की किसी समस्या जैसे वर्तमान में कोरोना वायरस से बचाव आदि के संबंध में यदि हम कोई समाधान निकालने का प्रयास करें तभी हमारे उच्चशिक्षा एवं शोध का महत्व है। उन्होंने कहा कि समाज से जुड़े मुद्दों पर यदि शोधार्थी प्रोजेक्ट प्रस्ताव को सीकास्ट में प्रेषित करें तो हम उसे आर्थिक सहायता प्रदान करेंगे।
मुदित सिंह ने लैब-टू-लैण्ड अवधारणा को प्रभावकारी बताया। उन्होंने कहा कि सी कॉस्ट नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेस, इंडिया के साथ भविष्य में एमओयू कर छत्तीसगढ़ की समस्याओं को झुलझाने का प्रयास करेगा।
इस वेबीनार में डॉ धर्मेंन्द्र सिंह आईआईटी तथा आईसीटी हैदराबाद के डॉ सूर्यप्रकाश सिंह ने सत्र की अध्यक्षता की।
इससे पूर्व इंटरनेशनल वेबीनार के दूसरे दिन इणवाडोर के प्रोफेसर फ्रैंक एलेक्सिस ने अपने व्याख्यान में जैव विविधता पर आधारित विभिन्न प्रकार के उत्पादों का उल्लेख करते हुए स्मार्ट उत्पादों के महत्व पर प्रकाश डाला। आईआईटी नई दिल्ली के डॉ विपिन कुमार ने स्टार्टअप योजना के अंतर्गत कवच मास्क तथा एंटीवायरल गारमेंटस् की महत्वपूर्ण जानकारी दी। रेपिड एन्टीजन टेस्ट तथा आरटीपीसीआर की जानकारी देते हुए इंगलैंड के डॉ राघवेद्र मिश्रा ने सभी शोधार्थियों का ध्यान आकृष्ट किया ।
समापन सत्र में डॉ अनुपमा अस्थाना तथा डॉ अल्का तिवारी ने जानकारी दी कि इस वेबीनार में 12 देशों के 800 से अधिकप्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। समापन सत्र में विचार व्यक्त करने वाले प्रतिभागियों में नेपाल के डॉ. राजेश पंडित, नागपुर के डॉ वासुदेव तथा भिलाई की श्रीमती एस विद्या शामिल थे। आयेाजन सचिव डॉ अजय सिंह ने सम्पूर्ण सत्रों के व्याख्यान का संक्षेपीकरण विवररण प्रस्तुत करते हुए सबको धन्यवाद दिया। वेबीनार के आयेाजन में रसायन शास्त्र विभाग के सभी प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों का उल्लेखनीय योगदान रहा । वेबीनार की संयोजक डॉ अनुपमा अस्थाना ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।