स्वरूपानंद महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर हुई प्रतियोगिताएं
भिलाई। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस अवसर पर यूनिसेफ द्वारा मेरी आवाज हमारा सामान भविष्य पर विद्यार्थियों के लिए निबंध एवं वर्चुअल वीडियो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। संयोजिका डॉक्टर सावित्री शर्मा ने बताया कि बालिकाओं की शिक्षा पोषण स्वास्थ्य सुविधा कानूनी अधिकारों एवं भेदभाव से संरक्षण उपलब्ध करवाना ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। इस अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि यह दिवस हमें बालिकाओं के प्रति सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। प्रत्येक वर्ष अलग-अलग विषयों पर यह दिवस मनाया जाता है जिसमें एक ही संदेश होता है कि बालिकाओं को वे सभी अवसर प्राप्त हों जो आमतौर पर बालकों को दिए जाते हैं। वर्तमान की सशक्त बालिका ही सशक्त भविष्य है।
डॉ शमा ए बेग विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी ने कहा कि एक महिला की आवाज इतनी सशक्त होनी चाहिए उसे सभी सुनें एवं स्वीकार करें। उन्होंने बालिकाओं के संवैधानिक अधिकारों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की तथा कहा कि बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा तभी हम समान भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। संवैधानिक अधिकारों की बालिकाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन जागरूकता का अभाव है। उन्होंने बालिका शिक्षा विवाह संपत्ति संबंधी समान अधिकारों पर भी प्रकाश डाला।
डॉ त्रिशा शर्मा सहायक प्राध्यापक शिक्षा संकाय ने बालिका भ्रूण हत्या पर चर्चा करते हुए कहा कि बालिकाओं को गरिमा पूर्ण जीवन तभी मिल सकता है जब हम अपने घर परिवार से ही इसकी शुरुआत करें। आज भी समाज के पुत्रवती होने का आशीर्वाद प्रचलन में है जो विषमताओं का द्योतक है।
क्रीडा अधिकारी मुरली मनोहर तिवारी ने बालिका सुरक्षा की महत्ता बताते हुए कहा कि समान भविष्य तभी संभव है जब बालिका स्वयं अपनी सुरक्षा करने में सक्षम हो सके। सुरक्षा तंत्र का विकास करना हमारी प्राथमिक आवश्यकता है।
श्री कृष्ण कांत दुबे विभागाध्यक्ष कंप्यूटर संकाय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि केवल कानून बनाना ही विकल्प नहीं है क्योंकि कानून हमारे मन और स्वभाव को नियंत्रित नहीं कर सकते।व्यक्ति जब दूसरे के प्रभाव में रहता है तो अपने स्वभाव में नहीं आ पाता। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से नारी सशक्त थी है और रहेगी। सनातन संस्कृति में स्वयंवर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण रहा है। जब सीता जी ने वनवास गमन हेतु अपना मत रखा तो श्री राम जी ने उसे शहर से स्वीकृति दी। यदि हमने अपनी सभ्यता एवं संस्कृति से छेड़छाड़ ना की होती तो आज हमें समान अधिकारों के लिए लड़ना नहीं पड़ता। आवश्यकता है हमारी सोच कि सकारात्मक बदलाव की नारी सम्मान हम सब का कर्तव्य है।
डॉ स्वाति पांडे सहायक अध्यापक ने कहा कि यदि एक बालिका शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। बालिका शिक्षा महत्वपूर्ण विषय है जिसके सार्थक पहल की आवश्यकता है।
श्रीमती सुनीता शर्मा विभागाध्यक्ष जूलॉजी ने कहा कि वर्तमान में बालिकाओं के साथ होने वाली घटनाएं चिंताजनक है। आता कानून का क्रियान्वयन पक्ष अधिक मजबूत होना चाहिए।
डॉ रजनी मुरलिया विभागाध्यक्ष रसायन ने हाथरस जैसी सामयिक घटनाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि बालिका दिवस की सफलता तभी होगी जब बालिकाओं को अन्याय एवं प्रताड़ना से बचाने के लिए कठोर कदम उठाया जाए।
श्रीमती मंजू कनौजिया सहायक प्राध्यापक ने कहा कि बालिका शिक्षा के प्रतिशत में वृद्धि आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है तभी हम एक अच्छे समाज की कल्पना कर सकते हैं।
डॉ रचना पांडे सहायक अध्यापक शिक्षा विभाग ने कहा कि वर्तमान में प्रत्येक क्षेत्र में बालिकाओं ने सफलता के शिखर को छुआ है। हमें बालिकाओं को कमजोर समझने की सोच को बदलना होगा । परिवार में जो संस्कार हम बच्चियों को देते हैं वही संस्कार बेटे को भी दिया जाना आवश्यक है। उसमें शिथिलता नहीं होनी चाहिए। तभी हम समान भविष्य की कल्पना कर सकते हैं ।
ऑनलाइन वर्चुअल वीडियो प्रतियोगिता के निर्णायक डॉए ज्योति भरणे प्रोफेसर शासकीय पाटणकर कन्या महाविद्यालय दुर्ग द्वारा घोषित परिणाम इस प्रकार रहे……
प्रथम- संयुक्ता पाडी. एम एड प्रथम सेमेस्टर
संयुक्ता पाढ़ीए एमएड प्रथम सेमेस्टर ने कहा कि निसंदेह कन्या ईश्वर की अनमोल कलाकृति है। कन्याए मा या एक नारी मानयता की प्रतिपूर्ति है। स्त्री के सम्मान में केवल अच्छे लेखए उपन्यास या कविताएं ही नहीं लिखना है अपितु यथार्थ जीवन में उसे हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का पूरा अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि वह सिद्ध कर सकें कि वह श्रेष्ठ नहीं सर्वश्रेष्ठ है।
द्वितीय- दीपिका पटेल, बीएससी प्रथम माइक्रोबायोलॉजी
दीपिका पटेल.बीएससी प्रथम वर्ष; माइक्रोबायोलाजी ने कहा कि भारत में बालिकाओं का घटता लिंगानुपात विचारणीय है। आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग पुरूष संतान ही चाहता है। वे अकसर नवजात परीक्षणों का सहारा लेकर भ्रूण हत्या को बढ़ावा देते है।
तृतीय- अल्फिया रजा, बीएससी तृतीय
ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता के निर्णायक डॉ यशेस्वरी ध्रुव विभागाध्यक्ष शासकीय पाटणकर कन्या महाविद्यालय दुर्ग द्वारा घोषित परिणाम….
निबंध-अंग्रेजी
प्रथम- हिमानी सिंह, बीकॉम प्रथम
द्वितीय- निवेदिता पाटिल बी कॉम प्रथम
तृतीय- पूजा कुशवाहा एम एड प्रथम
पूजा कुशवाहा – एमएड प्रथम सेमेस्टर ने बालिका सुरक्षा को देखेते हुए उन्हे शारीरिक मानसिक एवं भावनात्मक रूप से सक्षम बनाने के लिए प्रयास करने होगे तथा संबंधित सुरक्षा एक्ट एंव हेल्पलान 1000, 1098 के प्रति भी जागरूक करना होगा। सशक्त बालिका ही सशक्त राष्ट्र की नीव है।
सांत्वना आदिती बिरझा, बीकॉम प्रथम
शकीबा- एमएड प्रथम सेमेस्टर
निबंध-हिंदी
प्रथम- स्वाति सिंह बीएड द्वितीय
द्वितीय- अमृता भारती बीएड द्वितीय
तृतीय- ई दीप्ति, बी कॉम प्रथम
सांत्वना- विष्णु कुमार बीएड तृतीय
रचना बाई- बीएड तृतीय
टिकेंद्र- एमएड तृतीय
संयुक्ता पड़ी- एमएड प्रथम
पलक तिवारी- बीएससी प्रथम, माइक्रोबायोलॉजी
कार्यक्रम के अंत में श्रीमती ज्योति भरणे ने आभार प्रदर्शित किया।