दुर्ग। मास्क पहनना तथा सोशल डिस्टेंसिंग कोरोना संक्रमण से बचाव का मूल मंत्र है। हम सभी को इसका पालन कर अपना एवं दूसरों को कोरोना संक्रमण से बचाना चाहिए। ये उद्गार पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के डाॅ. विजय पी माखीजा ने आज व्यक्त कियें। डॉ माखीजा हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ऑनलाईन आमंत्रित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। इस व्याख्यान में 500 से अधिक प्राध्यापकों, प्राचार्यों, शोध छात्र-छात्राओं तथा कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। डॉ माखीजा ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति की खांसी, सर्दी तथा छींकने से वायुमण्डल में फैलता है। इसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। डॉ माखीजा ने बड़़ी संख्या में उपस्थित युवा छात्र-छात्राओं को सलाह दी कि वे फैशन के कारण जेब में मास्क लेकर न घूमे और न ही गले में मास्क लटाकाकर सार्वजनिक स्थानों पर विचरण करें। डॉ माखीजा ने तीन लेयर वाले सर्जिकल मास्क को सबसे उत्तम बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर तनाव न पालें और ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रहें। अधिकांश मरीज मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण कोरोना से प्रभावित हो रहे हैं।
कोरोना के लक्षण दिखने पर बिना घबराये अपने डाक्टर से परामर्श लेवें। होम आइसोलेशन की दशा में नियमित रूप से शरीर के तापमान एवं आक्सीजन लेवल की जांच करते रहें। कोरोना पीड़ित लोगों को प्रति 6 घंटे में ऐसा करना चाहिए।
डॉ माखीजा के व्याख्यान के दौरान प्रतिभागियों ने काढ़े की महत्ता, विटामिन-सी के प्रयोग, कोरोना से ठीक होने के पश्चात् लगने वाली कमजोरी तथा डायबिटीज से संबंधित अनेक प्रश्न पूछकर अपनी शंका का समाधान किया।
आरंभ में दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने डॉ माखीजा का परिचय देते हुए व्याख्यान के विषय वस्तु ’’ कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य एवं फीटनेस बनाये रखने हेतु जीवनशैली’’ विषय की रूप रेखा प्रस्तुत की। अपने उद्घाटन भाषण में विश्वविद्यालय की कुलपति, डॉ अरूणा पल्टा ने कहा कि कोविड-19 की अवधि में प्रत्येक व्यक्ति ऊर्जा से भरपूर आहार एवं पर्याप्त नींद का ध्यान रखें। डॉ पल्टा ने बताया कि हमारी भोजन की थाली में लगभग 50 प्रतिशत् फल एवं सब्जियों का समावेश आवश्यक है। उन्होंने दही, मक्खन, इडली, तथा मसालों के उपयोग की सलाह देते हुए सभी प्रतिभागियों से कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करने का आग्रह किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने किया।