दुर्ग। छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में होने वाली रिसर्च का लाभ छत्तीसगढ़ की समस्याओं के निराकरण में होना चाहिये। केवल पीएचडी की डिग्रियां प्राप्त कर आलमारी में बंद थीसिस का कोई सामाजिक औचित्य नहीं है। ये उद्गार आईएफएस एवं छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग के सदस्य डॉ के सुब्रमनियम ने आज हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग द्वारा ऑनलाईन वेबीनार में व्यक्त कियें। छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग द्वारा अनुमोदित शोध कार्य के बिन्दुओं एवं छत्तीसगढ़ शासन की मंशा पर विचार व्यक्त करते हुए डॉ सुब्रमनियम ने कहा कि योजना आयोग द्वारा अल्प अवधि अर्थात 5-6 माह की अवधि के लिये 5 लाख रूपये तक के रिसर्च प्रोजेक्ट स्वीकृत किये जाते हैं। बड़ी संख्या में उपस्थित शोध छात्र-छात्राओं, शोध निदेशकों, महाविद्यालय के प्राचार्यों को संबोधित करते हुए डॉ सुब्रमनियम ने कहा कि इसके लिए आवेदक को छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग द्वारा आमंत्रित किये जाने पर निर्धारित प्रपत्र में 6 प्रतियों में हार्डकापी में आवेदन करना तथा प्रस्तुतिकरण हेतु बुलाये जाने पर राज्य योजना आयोग के विषय-विशेषज्ञों के समस्त प्रोजेक्ट के विषय पर मौखिक पावर पाइंट प्रस्तुतिकरण करना आनिवार्य हैं।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार शोध परियोजनाओं हेतु चिन्हित किये गये क्षेत्रों के विषय वस्तु की सूची छत्तीसगढ़, राज्य योजना आयोग की अधिकृत वेबसाइट पर उपलब्ध है। हमारे युवा शोधार्थियों से आव्हान है कि इन विषय वस्तुओं का अवलोकन कर छत्तीसगढ़ प्रदेश के हित में शोध कार्य आरंभ करें। राज्य योजना आयोग का यह उद्देश्य है कि विद्यार्थी स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्ययन के दौरान ही छत्तीसगढ़ प्रदेश के आर्थिक, सामाजिक, विज्ञानी समस्याओं से जुड़े तथा इन समस्याओं के निराकरण हेतु अपनी सोच आरंभ कर दे। उन्होंने बताया कि आयोग विश्वविद्यालयों में हो रही रिसर्च से संबंधित एक आॅनलाईन रिपोजिटरी भी तैयार करने का प्रयास करेगा। जिससे प्रदेश में हो रहे शोधकार्यों की पूरी सूची एक साथ एक स्थान पर उपलब्ध रहें।
डॉ सुब्रमनियम ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों आईआईटी, एम्स, आईआईएम ट्रिपल आईआईटी आदि में उपलब्ध आधुनिक अध्ययन सुविधाओं को अन्य विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों को उपलब्ध करवाने हेतु साझा प्रयास करने की बात भी कही। प्रमुख अध्ययन क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ में सहकारिता आन्दोलन, छत्तीसगढ़ कृषकों हेतु कार्य, मिलेट्स उत्पादन, इंडस्ट्रियल पार्क, रोजगारन्मुखी शिक्षा, खाद्य प्रसंस्करण, लघु वनोपज, शहरी बेरोजगारी, एनीमिया, छत्तीसगढ़ में अकादमी-उद्योगों के बीच गैप की पूर्ति, पर्यटन, सूक्ष्म व लघु उद्योग, फ्लाईऐश, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, वोकेशनल कोर्स, नवीनीकरण उर्जा के स्त्रोत, जनजातीय क्षेत्रों की समस्याए, महिला स्वसहायता समूहों की गतिविधियां आदि शामिल हैं।
वेबीनार के आरंभ में दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने डॉ. सुब्रमनियम का परिचय दिया। विश्वविद्यालय की कुलपति, डॉ अरूणा पल्टा ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग तथा छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग के मध्य मुख्यमंत्री की उपस्थिति में एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। इनका सीधा लाभ हमारे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं एवं विद्यार्थियों को मिलेगा। डॉ पल्टा ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रथम राज्य है जहां राज्य योजना आयोग एवं विश्वविद्यालय के मध्य एमओयू हुआ है। उन्होंने 800 से अधिक शोधकर्ताओं की ऑनलाईन उपस्थिति में कहा कि वे राज्य योजना आयोग की पहल का स्वागत करते हुए अधिक से अधिक संख्या में रिसर्च प्रस्ताव तैयार करें। धन्यवाद ज्ञापन दुर्ग विश्वविद्यालय के सहा. कुलसचिव, डॉ सुमीत अग्रवाल ने किया।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय राज्य योजना आयोग प्रकोष्ठ के सदस्य कुलसचिव, डॉ सी.एल. देवांगन, साइंस कॉलेज दुर्ग के प्राचार्य, डॉ आर. एन. सिंह, डॉ अनिल कुमार, डॉ अजय सिंह, डॉ प्रशांत श्रीवास्तव, विकास पंचाक्षरी, डॉ अम्बरीश त्रिपाठी सहित उच्च शिक्षा दुर्ग संभाग के अपर संचालक, डॉ सुशीलचंद्र तिवारी सहित दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिकारी भूपेन्द्र कुलदीप, डॉ राजमणि पटेल, श्रीमती ज्योत्सना शर्मा, डॉ सुमीत अग्रवाल, हिमांशु शेखर मंडावी, ए.आर.चौरे, डॉ आर. पी. अग्रवाल, डॉएल.पी. वर्मा आदि उपस्थित थे।