भिलाई। फेफड़ों को धूल तथा किसी भी प्रकार के धुएं से बचाना चाहिए। ये आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। फेफड़ों का संक्रमण निमोनिया कहलाता है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल-2019 के मुताबिक देश में प्रतिदिन 21 लोगों की मृत्यु फेफड़ों के संक्रमण के कारण हो जाती है। इनमें से 10 की मृत्यु श्वांस संबंधी गंभीर संक्रमण के कारण होती है जबकि शेष मामले निमोनिया के होते हैं। 2019 में 5 वर्ष से कम उम्र के 8 लाख बच्चों की मौत निमोनिया से हो गई। इनमें से अधिकांश की उम्र 2 वर्ष से कम थी। उक्त जानकारी हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ प्रतीक नरेश कौशिक ने विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर दी। उन्होंने भाप लेने का सही तरीका भी बताया। डॉ कौशिक स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संक्रमण के कारण फेफड़ों की दीवारों में सूजन आ जाती है। फेफड़ों के भीतर सूक्ष्म नलियां होती हैं। संक्रमण से ये नलियां सिकुड़ कर बंद होने लगती हैं। रक्त प्रवाह बहुत कम हो जाता है और शरीर में आक्सीजन की कमी होने लगती है। डॉ कौशिक हाइटेक में चेस्ट फिजिशियन होने के साथ ही आईसीयू के प्रभारी भी हैं। ब्रांकोस्कोपी, थोराकोस्कोपी आदि इंटरवेंशनल प्रोसीजर्स में भी उन्हें महारत हासिल है।
उन्होंने कहा कि फेफड़ों को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए प्रतिदिन प्राणायम या सांसों का अभ्यास करना चाहिए। इसके अलावा सुदर्शन क्रिया, स्पाइरोमेट्री या डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज आदि क्रियाएं करनी चाहिए। शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखने की कोशिशें करनी चाहिए। सांस के साथ भी शरीर से पानी निकल जाता है। सांस संबंधी किसी भी बीमारी में यह मात्रा काफी बढ़ जाती है। प्रतिदिन कम से कम दो बार भाप लेना चाहिए। इससे फेफड़ों की सिंकाई होती है। साथ ही नींबू, आंवला आदि विटामिन-सी से भरपूर फलों का सेवन करना चाहिए।
डॉ कौशिक ने कहा कि हमें धूल और धुएं से यथासंभव बचने का प्रयास करना चाहिए। धूल वाली जगहों पर बिना मास्क पहने नहीं जाना चाहिए। धुआं – चाहे वह कार्यस्थल का हो, सिगरेट बीड़ी का हो या अगरबत्ती-हवन का, सभी फेफड़ों को परेशान करते हैं। धूम्रपान न तो स्वयं करना चाहिए और न ही अपने आसपास किसी को करने देना चाहिए। कोई सिगरेट पी रहा हो तो उससे दूरी बना लें। सिगरेट-बीड़ी का धुआं धूम्रपान करने वालों को तो नुकसान पहुंचाता ही है, जो आसपास होते हैं उनके फेफड़ों तक भी पहुंच जाते हैं।
भाप लेने का सही तरीका
मौसमी सर्दी-जुकाम का जिक्र करते हुए डॉ कौशिक ने कहा कि कुछ लोगों को मौसम बदलने पर सर्दी-खांसी-जुकाम हो जाता है। ऐसे लोगों को विटामिन-सी का भरपूर सेवन करने के साथ ही नियमित रूप से भाप लेना चाहिए। भाप लेने की सही प्रक्रिया को समझाते हुए उन्होंने कहा कि यदि आप मशीन से भाप ले रहे हैं तो एकदम से अपना मुंह उसमें न दे दें। भाप को नाक से खींचें, थोड़ी देर छाती में रोकें और फिर मुंह से उसे बलपूर्वक निकालें। इससे छाती में जमा कफ-बलगम गीला होकर शरीर से निकल जाता है।
तत्काल दवाइयां नहीं लें
डॉ कौशिक ने कहा कि कुछ लोग सर्दी खांसी होते ही तुरन्त बाजार से दवा खरीदकर उसका सेवन करने लगते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। यदि 100 डिग्री से ज्यादा बुखार हो तभी चिकित्सक की सलाह से दवाइयां लेनी चाहिए। दवाइयां हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करती हैं।