भिलाई। हर साल लगभग 1.5 करोड़ बच्चे समय से पहले जन्म ले लेते हैं। इन्हें प्री-टर्म या प्री-मैच्योर बेबी कहा जाता है जिन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है। प्री-टर्म की अवधि के अनुपात में इनमें अलग-अलग समस्याएं हो सकती हैं जिनमें से कुछ बेहद गंभीर हो सकती हैं। ऐसे बच्चों को एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक एनआईसीयू में रखना पड़ सकता है। ऐसे शिशुओं और उनकी माताओं की देखभाल पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 17 नवम्बर को वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे मनाया जाता है।स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव कौरा बताते हैं कि प्रीटर्म बेबीज की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्री-टर्म या प्रीमैच्योर बेबी हम उन नवजातों को कहते हैं जिनका जन्म गर्भधारण पश्चात 37 सप्ताह की अवधि पूर्ण होने से पहले हो जाता है। ऐसे शिशुओं का वजन भी बेहद कम (2.5 किलो से कम) होता है। हालांकि इसका सही-सही कारण बता पाना कठिन है किन्तु आधुनिक जीवनशैली के कुछ तौर-तरीकों से इसका संबंध पाया गया है। माता में कुपोषण, हृदय संबंधी विकार, किडनी की बीमारियां, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मूत्रनलिका का संक्रमण, बच्चादानी की थैली का संक्रमण, गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या मद्यपान, असंतुलित भोजन, फास्ट फूड आदि इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। गर्भ में एक से अधिक बच्चा (जुड़वां, तिड़वां) होने पर भी प्रीमैच्योर बेबी की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ कौरा ने बताया कि प्री-टर्म या प्रीमैच्योर बेबी की देखभाल के लिए नीयोनेटल आईसीयू की जरूरत पड़ती है। चूंकि इन बच्चों का फेफड़ा और मस्तिष्क पूर्ण विकसित नहीं होता इसलिए स्तनपान करने में इन्हें दिक्कत हो सकती है। ऐसे में इन्हें कृत्रिम रूप से मां का दूध दिया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर सांस लेने के लिए वेंटीलेटर सपोर्ट लिया जाता है। इन बच्चों को एक निश्चित तापमान पर रखकर इनके विकास पर नजर रखी जाती है। ऐसे बच्चों को एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक एनआईसीयू में रखना पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि चिकित्सा की नई तकनीकों से इन बच्चों के जीवन रक्षा की संभावना काफी बढ़ गई है और हम अधिकांश बच्चों का जीवन बचाने में सफल हो जाते हैं। पर गर्भवती के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है। इसकी तैयारी काफी पहले याने कि बच्ची के किशोरावस्था से ही प्रारंभ हो जाए तो नतीजे बेहतर आ सकते हैं। कुपोषण मिटाने के लिए सरकार अनेक प्रयास करती है जिसके कारण स्थिति काफी हद तक संभली है पर इस दिशा में और प्रयास किये जाने की जरूरत है।