भिलाई। महापौर एवं भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव ने एमजे स्कूल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा है कि इससे बच्चों में भावी जीवन के लिए पक्की नींव पड़ेगी। उन्होंने कहा कि यहां प्रायोगिक तौर पर खेल खेल में न केवल उन्हें फार्मल एजुकेशन के लिए तैयार किया जाएगा बल्कि उनमें ट्रैफिक सेन्स, सेफ्टी, लैब एथिक्स भी विकसित की जाएगी। श्री यादव एमजे स्कूल में क्रिसमस के उपलक्ष्य के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। स्कूल का परिदर्शन करने के बाद उन्होंने कहा कि जिस तरह से यहां बच्चों की सुरक्षा के प्रबंध किये गये हैं उसमें मातृत्व का भाव झलकता है। स्कूल का कोना-कोना इतना खूबसूरत है कि बच्चे स्कूल आने के लिए मचलेंगे। प्रत्येक क्लासरूम में प्ले एरिया तथा मिनी लाइब्रेरी है। विश्राम का भी प्रबंध किया गया है। खेल-खेल में लगने वाली चोटों से बच्चों को बचाने के लिए भी खास प्रबंध किये गये हैं।
इससे पूर्व कॉमर्स गुरू डॉ संतोष राय ने इसे एक दुर्लभ अनुभव बताते हुए कहा कि ऐसा स्कूल पूरे छत्तीसगढ़ में नहीं है। उन्होंने स्कूल प्रबंधन को रचनात्मक सोच के लिए बधाई देते हुए सफलता की शुभकामनाएं दीं। डॉ मिट्ठू ने कहा कि यदि सभी स्कूल ट्रैफिक को लेकर एमजे पैटर्न को फॉलो करें तो ट्रैफिक पुलिस की जरूरत ही नहीं रहेगी।
संकल्प स्वयं सेवी संस्था की अध्यक्ष कनिका जैन ने कहा कि वे इस स्कूल को देखकर अभिभूत हैं। बच्चों के प्रति ऐसी संवेदनशीलता तथा उनकी जरूरतों के प्रति ऐसा समर्पण दुर्लभ है। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे न केवल अपने जीवन में सफल होंगे बल्कि बेहतर नागरिक भी साबित होंगे।
मां शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट के रमेश पटेल ने कहा कि शाला का इंटीरियर इतना आकर्षक है कि बच्चे यहां से बाहर निकलने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। क्लासरूम उन्हें इस तरह इन्गेज कर रहा है कि वे यहीं रम जा रहे हैं। उन्होंने क्लासरूम लाइब्रेरी, प्रयोगशाला और किड्स जिम की भी तारीफ की।
पालकों ने स्कूल का भ्रमण करने के बाद कहा कि उन्होंने कभी ऐसे स्कूल की कल्पना नहीं की थी। उनके बच्चे स्कूल परिसर में आते हैं तो यहीं रम जाते हैं और यहां से जाना नहीं चाहते। कोरोना के कारण नियमित स्कूल तो नहीं लग पा रहा है पर जब कभी छोटे-बड़े आयोजन होते हैं तो वे अपने बच्चों को यहां जरूर लेकर आते हैं।
स्कूल की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने बताया कि स्कूल का यह कंसेप्ट कई वर्षों के शोध और सोच का परिणाम है। स्कूल की स्थापना से पूर्व देश-विदेश के अनेक स्कूलों का अध्ययन किया गया और उन्हें भारतीय परिवेश के अनुरूप ढालकर यहां प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है। अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन (ईसीए) की सदस्य डॉ श्रीलेखा ने कहा कि इस स्कूल की पृष्ठभूमि में अनेक नामचीन चाइल्ड एजुकेटर्स का सहयोग है और हम इसे निरंतर बेहतर बनाने का प्रयास करते रहेंगे।
शाला के संस्थापक निदेशक अभिषेक गुप्ता ने कहा कि कोविड के कारण हालांकि सत्रारंभ में विलम्ब हुआ पर हम इस समय का सदुपयोग पालकों एवं शिक्षाविदों का फीडबैक प्राप्त करने के लिए कर रहे हैं ताकि बच्चों को अच्छे से अच्छा शैक्षिक वातावारण प्रदान किया जा सके। यह प्रत्येक बच्चे का अधिकार है। उन्होंने बताया कि स्कूल में देश की चोटी की खेल अकादमियों का केन्द्र स्थापित करने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं।
शाला भ्रमण के दौरान हेडमिस्ट्रेस मुनमुन चैटर्जी एवं शाला परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बच्चों के लिए गेम्स, ट्रेन राइड, रैम्प वॉक आदि का इंतजाम किया गया था जिसके प्रतिभागियों को स्थल पर ही पुरस्कृत किया गया।