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मोटापे पर भारी पड़ सकता है कोरोना का हमला, रहें सतर्क – डॉ कौशिक

Dec 7, 2020

170 kg patient treated of Corona in Hitek Hospital Bhilaiभिलाई। कोरोना वैसे तो सभी उम्र के लोगों पर भारी पड़ रहा है किन्तु मोटापे का शिकार लोगों में यह बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। बीएसआर हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में एक ऐसे ही मरीज की जान बचाई गई जिसका वजन 170 किलोग्राम से अधिक था और वह कोरोना पाजीटिव हो गया था। ऐसे मरीज जोर-जोर से खर्राटे लेते हैं और इन्हें ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्नीया भी हो सकती है। इसमें सांस की डोर बीच-बीच में कट जाती है और दोबारा शुरू भी हो जाती है। मरीज को ये दोनों ही शिकायतें थीं और उसे तत्काल वेन्टीलेटर पर डालकर उनकी ब्रोंकोस्कोपी करनी पडी।हाइटेक की कोविड टीम के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ प्रतीक नरेश कौशिक एवं मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ प्रफुल्ल चौहान ने बताया कि मोटापा अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण है। इनमें से खर्राटे और ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्नीया (ओएसए), कोविड संक्रमण होने पर जानलेवा बन सकते हैं। अत्यधिक मोटापे का शिकार लोगों में ऑक्सीजन का स्तर वैसे ही कम होता है क्योंकि वे खुल कर सांस नहीं ले पाते। चित लेटते ही यह समस्या और बढ़ जाती है और व्यक्ति खर्राटे लेने लगता है। समस्या अधिक होने पर सांस बीच-बीच में कट जाती है। इसे ओएसए कहते हैं।
डॉ कौशिक ने बताया कि स्वस्थ व्यक्ति में ऑक्सीजन की मात्रा 95 ये इससे अधिक होती है। भारी शरीर वालों में यह 85 के आसपास होता है। इसकी प्रतिक्रिया के स्वरूप उनके शरीर में कार्बन डाय आक्साइड की मात्रा 100 तक पहुंच जाती है। इस मरीज का कार्बन डाइआक्साइड का स्तर 105 तक पहुंच गया था। मरीज सांस नहीं ले पा रहा था और बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया था।
डॉ कौशिक ने बताया कि आक्सीजन की मात्रा कम होने और कोविड का संक्रमण होने पर मरीज की धमनियों में रक्त का थक्का बन सकता है। इसकी वजह से दिल का दौरा पड़ सकता है, ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है, नसें फट सकती हैं और आंतरिक रक्तस्राव भी हो सकता है। इसलिए ऑक्सीजन लेवल को ठीक करना और रक्तसंचार को बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता बन जाती है।
अस्पताल पहुंचते ही कोविड टीम ने तत्काल मरीज का इलाज प्रारंभ कर दिया। चूंकि ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो चुकी थी, उन्हें तुरन्त वेन्टीलेटर पर डाल दिया गया। कोरोना संक्रमण के कारण एक फेफड़ा पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुका था। हमें इमरजेंसी में ब्रोंकोस्कोपी करनी पड़ी। मरीज और उसके परिजनों ने अपना हौसला बनाए रखा और अस्पताल को पूरा सहयोग दिया। इसके कारण हम बिना वक्त गंवाए, जब जैसी जरूरत पड़ी, उसके हिसाब से लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तय करते गए और मरीज ने कोविड को मात दे दी।
डॉ कौशिक ने बताया कि मरीज ने काफी हिम्मात से काम लिया। ऐसे मरीजों को वेन्टीलेटर पर डालना तो आसान होता है पर मरीज जल्द ही वेन्टीलेटर पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है। ऐसे मरीजों को वेन्टीलेटर से बाहर लाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। पर दृढ़ इच्छाशक्ति से मरीज वेन्टीलेटर से बाहर आ गया।
हमने कोविड को तो मात दे दिया है पर इलाज अभी बाकी है। मरीज का वजन कम करना और ओएसए को ठीक करना बेहद जरूरी है। इसके लिए उनका इलाज घर पर ही जारी रहेगा। इसमें लाइफ स्टाइल मोडिफेकेशन, प्रापर डायट फालो करने, फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज की सलाह मरीज को दी गई है।

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