भिलाई। कोरोना महामारी के बीच स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा आईआईटी मद्रास के सहयोग से वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला से छात्रों ने कंप्यूटर एडेड ड्रग डिजाइनिंग के बारे में विषय विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त की। डॉ. पुरी, श्री सुभाष एवं डॉ. जितेश दोशी ने ड्र्ग्स की सही मात्रा व सटीक समय तय में कम्प्यूटर की भूमिका को रेखांकित किया। 21 दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में रजिस्टर्ड विद्यार्थियों को ड्रग अविष्कार के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि सॉफ्टवेयर की मदद से किस तरह मॉड्यूल कर डोसेज की सही मात्रा तय की जाती है। कंप्यूटर द्वारा कैसे स्माइल्स, कंपाउंड लाइब्रेरी, डेटाबेस डाउनलोड, पीडीबी डेटाबेस का उपयोग कर ड्रग के उपयुक्त संरचना के चयन के बारे में विस्तार से बताया गया। व्यावहारिक ज्ञान हेतु दो डिजीज नेतृत्व अनुकूलन चयापचय एवं ट्यूमर लंग कैंसर के लिए टीटीडी, पीडीबी, और ADME के प्रयोग द्वारा व्यक्ति के उम्र वजन के अनुरूप ड्रग किस समय और कितनी मात्रा में दी जाये के संदर्भ में सिखाया गया। वर्चुअल कार्यशाला से विद्यार्थी खुश थे उन्होंने कहा की इस कार्यशाला से हम विज्ञानं और कंप्यूटर के महत्व को समझ पाए कई बार कुछ लोग दवाई का उपयोग सही समय और सही मात्रा में नहीं कर पाते है ऐसी स्थिति में दवाइयों का जो लाभ मिलाना चाहिए वह नहीं मिल पाता है वहा कंप्यूटर ऐडेड ड्रग डिजाइनिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ. शमा बेग ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञानं की नयी तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराना है जिससे वह पाठ्यक्रम में पढ़ी हुई ज्ञान को अमल में ला सके।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा ने कार्यशाला से प्रशिक्षित विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि विशेषज्ञों द्वारा दिए गए प्रशिक्षण का प्रयोग व्यवहारक जीवन में अवश्य करे।
प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कोरोना काल में वर्चुअल कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों के प्रशिक्षण की सराहना करते हुए कहा की विद्यार्थी पाठ्यक्रम शिक्षण के अतिरिक्त ऐसे आयोजन से जुड़ कर व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर उसे जनकल्याण हेतु उपयोग में ला सकते है।
कार्यशाला के अंतिम दिन सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।