दुर्ग। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के दल द्वारा सघन निरीक्षण के कारण निजी महाविद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाओं के आयोजन में सुधार देखने को मिल रहा है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा निजी महाविद्यालयों का यह निरीक्षण लगातार जारी रहेगा। कुलसचिव डॉ सी.एल. देवांगन ने बताया कि पूर्व की तुलना में वर्तमान में ऑनलाईन कक्षाओं का आयोजन तथा उसमें जुड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या संतोषप्रद पायी गई हैं। वहीं अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने महाविद्यालय प्रबंधन से कहा है कि वे प्राध्यापकों के लिए आवश्यक अधोसंरचना का प्रबंध करे।कुलसचिव डॉ देवांगन ने कहा कि प्राचार्यों को निर्देशित किया गया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में जुड़ने हेतु विद्यार्थी को प्रेरित करें। किसी कारणवश ऑनलाइन कक्षा में न जुड़ पाने वाले विद्यार्थी को पीडीएफ नोट्स तथा वीडियो लेक्चर्स उपलब्ध करायें।
डॉ देवांगन ने बताया कि विश्वविद्यालय के निरीक्षण दल में उनके स्वयं के अलावा अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव, खेल संचालक, डॉ एल.पी वर्मा तथा सहा. कुलसचिव, हिमांशु शेखर मंडावी शामिल थें। निरीक्षण दल ने मैत्री कॉलेज भिलाई, राजेन्द्र प्रसाद महाविद्यालय, रिसाली, भिलाई, अग्रषेण कॉलेज, धनोरा, डी.ए.वी मॉडल कॉलेज, दुर्ग, घनश्याम सिंह आर्य कन्या महाविद्यालय, दुर्ग, सेठ बद्रीलाल खण्डेलवाल शिक्षा महाविद्यालय, दुर्ग का आकस्मिक निरीक्षण करते हुए ऑनलाईन कक्षाओं की जांच की तथा कक्षाओं में जुड़े विद्यार्थियों से सीधे बात-चीत कर विद्यार्थियों की समस्याएं सुनी।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि अनेक विद्यार्थियों ने अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते, नेटपैक शीघ्र समाप्त हो जाने के कारण कक्षाओं में जुड़ने में असमर्थता का उल्लेख किया। कुछ विद्यार्थियों ने दुरस्थ ग्रामीण अंचलों में नेटवर्क की समस्या के कारण ऑनलाईन कक्षाओं में विद्यार्थियों की कम उपस्थिति की जानकारी दी। निरीक्षण के दौरान निरीक्षण दल ने सभी महाविद्यालयों में प्राचार्यों तथा शैक्षणिक स्टाफ की उपस्थिति की भी जानकारी प्राप्त की। कुलसचिव, डॉ देवांगन ने सभी शिक्षकों को निर्देशित किया कि वे टाइम टेबल के अनुसार प्रत्येक विद्यार्थी को ऑनलाईन कक्षा का लिंक समय पर प्रेषित करना सुनिश्चित् करें। उन्होंने महाविद्यालय प्रबंधन को भी ऑनलाईन कक्षा हेतु आवश्यक मजबूत नेटवर्क, कम्प्यूटर, कैमरा आदि संसाधन प्राध्यापकों हेतु उपलब्ध कराने के निर्देश भी दियें।