भिलाई। कैंसर स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक भारत में प्रत्येक 8 मिनट में एक महिला की मृत्यु सर्वाइकल (गर्भाशय ग्रीवा) कैंसर से हो जाती है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष गर्भाशय ग्रीवा कैंसर 74 हजार से अधिक महिलाओं की जान ले लेता है। जबिक नियमित स्क्रीनिंग के द्वारा इसका समय पर पता लगाया जा सकता है और इसकी रोकथाम की जा सकती है। आरंभिक चरणों में पता लगने पर इसका इलाज भी आसान हो जाता है। सर्वाइकल कैंसर जागरूकता माह के उपलक्ष्य में यह बातें हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ रेखा रत्नानी ने कहीं।डॉ रत्नानी ने बताया कि नियमित जांच से इन आंकड़ों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इसमें गर्भाशय ग्रीवा की दूरबीन से जांच तथा असामान्य कोशिकाओं के दिखाई देने पर पैप स्मीयर टेस्ट या बायप्सी की जाती है। इसके लक्षण काफी देर बाद सामने आते हैं, इसलिए जरूरी है कि 35 की उम्र के बाद नियमित रूप से जांच करवाई जाए। इससे गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तनों का समय पर पता लगाया जा सकता है। यह एचपीवी की रोकथाम के लिए भी जरूरी है। 21 की उम्र के बाद प्रत्येक 3 साल में एक बार पैप टेस्ट अवश्य कराना चाहिए। टीके भी कई प्रकार के एचपीवी के खिलाफ सुरक्षा कर सकते हैं, जिनमें से कुछ कैंसर का कारण बन सकते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के कारण
वैसे तो किसी भी कैंसर के होने के ठीक-ठीक कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है किन्तु जहां तक गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए कुछ कारकों को जिम्मेदार माना गया है। अल्पायु में सेक्स संबंध बनाना, गर्भधारण करना या संतान को जन्म देना। सिगरेट पीना या अन्य तरह का नशा करना। एक से अधिक पार्टनर के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाना। गर्भनिरोधक दवाइयों के लगातार सेवन से भी सर्वाइकल कैंसर हो सकता है। यह कुछ दवाइयों का साइड इफेक्ट भी हो सकता है।
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लक्षण
रक्तस्राव, मासिक में अत्यधिक रक्तस्राव, बार-बार पेशाब होना, दुर्गंध युक्त पदार्थ का बहना, यौन संबंध बनाने में परेशानी, थकान महसूस होना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। ऐसा कोई भी लक्षण होने पर स्त्री रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करें और जांच करवाएं।
सर्वाइकल कैंसर का इलाज
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने का लक्ष्य दिया है। यह तभी संभव है जब सभी महिलाएं इसे लेकर जागरूक हों। थर्मोकोएगुलेशन से भी इस कैंसर का इलाज संभव है। सर्वाइकल कैंसर के उपचार में शल्य चिकित्सा, विकिरण चिकित्सा, कीमोथेरेपी, या संयोजन शामिल हो सकता है।