भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के छाती एवं श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ प्रतीक एन. कौशिक ने कहा कि कोविड का नया स्ट्रेन, स्वयं कोविड से ज्यादा खतरनाक है। यह ज्यादा तेजी से फैलता है और इसके लक्षण काफी समय तक छिपे रहते हैं। जब तक लक्षण सामने आते हैं, मरीज की हालत खराब हो चुकी होती है। बेहतर होगा कि जरा सा भी संदेह होने पर तत्काल मरीज के फेफड़ों का एक्सरे और बेसिक टेस्ट करा लें।डॉ कौशिक ने हाल ही में हाइटेक में आए दो मरीजों का जिक्र करते हुए कहा कि इनमें से एक को सांस की थोड़ी तकलीफ थी। जब मरीज का चेस्ट एक्सरे किया गया तो उसके फेफड़े गंभीर रूप से संक्रमित मिले। मरीज वायरल एमआई का शिकार हो गया और उसे बचाया नहीं जा सका। एक अन्य मरीज पिछले 21 दिन से आईसीयू में कोरोना के खिलाफ जंग कर रहा है।
उन्होंने कहा कि गले में खराश, सिरदर्द, हाथ-पैर की उंगलियों का रंग उड़ जाना, सांस लेने में तकलीफ के साथ ही जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द, आंखों में संक्रमण, पेचिश या शरीर पर कहीं भी लाल चकत्तों का उभरना कोविड का लक्षण हो सकता है। अतः सभी चिकित्सकों को चाहिए कि मरीजों का कोविड की दृष्टि से मूल्यांकन करें और जरा सा भी संदेह होने पर उन्हें उचित परामर्श दें।
पहले जहां एसपीओ-2 लेवल और हार्टरेट पर ही फोकस किया जाता था वहीं अब सीधे फेफड़ों पर ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है। जिन्हें पहले कोविड हो चुका है, वे भी सावधान रहें क्योंकि यह नया वैरिएन्ट उन्हें भी अपनी चपेट में ले सकता है।
कोविड टीके पर सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों को कोविड टीके का पहला डोज लगा है, उन्हें भी सावधान रहने की जरूरत है। टीके का दूसरा डोज लगने के बाद भी शरीर में एन्टीबॉडीज बनने के लिए छह से बारह सप्ताह का समय लगता है। जब तक यह अवधि पूरी नहीं हो जाती, पूरी सावधानी बरतना आवश्यक है। कोविड का टीका नए वैरिएन्य पर कारगर है या नहीं, इसपर कोई टिप्पणी करने से उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया कि अभी इस संबंध में कोई डाटा उपलब्ध नहीं है।