भिलाई। “सूक्ष्म व निरपेक्ष अवलोकनों से ही ज्ञान का सृजन होता है और यहीं से नवाचार की प्रक्रिया आरंभ होती है” उपरोक्त विचार दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर नारायण पुरुषोत्तम दक्षिणकर ने विज्ञान प्रसार एवं साइंस सेंटर द्वारा छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग के सहयाग से आयोजित चार दिवसीय प्रकृति अध्ययन गतिविधि कार्यशाला के उदघाटन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा की छत्तीसगढ़ प्रकृति के समीप है जहां 44% वनीय क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि वन्य प्राणियों में अपने रोगो को उपचारित करने के तरीकों का जन्मजात ज्ञान होता है।