प्रकृति से छेड़-छाड़ के दुष्परिणामों से भावी पीढ़ियों का जीवन हुआ मुश्किल : डॉ दुबे
भिलाई। भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटैक) नई दिल्ली द्वारा ‘प्रकृति खतरे में-देखभाल व संरक्षण’ विषय पर स्कूली बच्चों के लिए एक अखिल भारतीय प्रोजेक्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें शामिल होने वाले विद्यार्थियों के लिए इंटैक के दुर्ग-भिलाई चैप्टर द्वारा स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम में रसायन विज्ञान विशेषज्ञ डॉ एच एन दुबे ने प्रकृति के समक्ष खतरों की चर्चा की। उन्होंने कहा, “उम्र दराजों की पीढ़ी ने अगली पीढ़ी के लिए प्रकृति को कुरूप और कठिनाइयों से जीने लायक छोड़ा है। प्रकृति से यह छेड़-छाड़ बढ़ती ही जा रही है जिसके दुष्परिणाम हमारे सामने नित नए रूपों में आते जा रहे हैं।” स्वामी स्वरूपानंद महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि हमारी संस्कृति में प्रकृति के संरक्षण की कई ऐसी अनोखी परम्पराए रही हैं जिन्हें इस पीढ़ी द्वारा नज़रअंदाज करना बेहद चिंताजनक है।
विषय विशेषज्ञ व इंटैक के स्थानीय चैप्टर के संयोजक डॉ डी एन शर्मा ने कहा कि, “अपनी असीमित जरूरतों के लिए प्राकृतिक संसाधनों के लगातार दोहन से मनुष्य ने सूर्य, जल, तल, वायुमंडल व जीवों के मध्य संतुलन की पवित्रता को खंडित कर दिया है। जलवायु परिवर्तन, नई नई बीमारियां, भू-क्षरण, पेय जल की कमी, जैसे कई खतरे हमारे समक्ष हैंI” उन्होंने इन समस्याओं के कम करने में अपने योगदान को प्रोजेक्ट के रूप करने की रिपोर्ट तैयार करने का मार्गदर्शन प्रतिभागियों को दिया।
इस अवसर पर डीपीएस भिलाई की आकांक्षा वर्मा व आर्या चतुर्वेदी को इंटैक, नई दिल्ली से प्राप्त ट्राफियां प्रदान की गईं। “150 में गांधी” विषयक इस राष्ट्रीय चित्रकला व निबंध प्रतियोगिता का आयोजन इंटैक द्वारा गत वर्ष किया गया था। विजेताओं ने ट्राफी डॉ हंसा शुक्ला व डॉ एच एन दुबे के हाथों से प्राप्त किया। आभार प्रदर्शन सह-संयोजक कवियत्री विद्या गुप्ता ने किया। कार्यक्रम इंटैक के सदस्य क्रांति सोलंकी, रविन्द्र खंडेलवाल व विश्वास तिवारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।