भिलाई। संतोष रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटिक साइंस एंड रिसर्च के एसोसिएट प्रोफेसर मुकेश शर्मा ने भाजी से मच्छर भगाने का सफल प्रयोग किया है। इसमें बथुआ भाजी के अलावा उस गाजर घास को भी शामिल किया गया है जिसे अब तक मुसीबत माना जाता था। रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय ने 1.80 लाख का अनुदान भी दिया है।छोटा सा मच्छर हजारों बीमारियों की वजह बनता है। इनसे बचने के लिए लोग तरह तरह के उपाय करते हैं। मुकेश शर्मा ने हाइटेक तकनीक से खरपतवार का उपयोग करते हुए मॉक्विटो रिपेलेंट तैयार किया है। इसमें जंगली सना, गाजर घास, निरगुंडी और बथुआ जैसे पौधों के अर्क का उपयोग किया गया है। केमिकल रिपेलेंट शरीर पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं। यह हर्बल प्रॉडक्ट पूरी तरह सुरक्षित है। इसके वेपोराइजर में एक विशेष चिप लगाई गई है, जो टाइमर की तरह काम करेगा।
मुकेश ने बताया कि खरपतवार से बने रिपेलेंट का उपयोग मच्छरों के लार्वा पर सबसे पहले किया गया, जिसमें बड़ी कामयाबी मिली। इसके बाद इस अर्क को लिक्विड, पाऊउर और बत्ती के रूप में ढाला गया। मॉस्किवटो रिपेलेंट की मशीन को कॉलेज की प्रयोगशाला में बनाया गया। सीजीकॉस्ट में भी यह प्रोजेक्ट भेजा गया है। मुकेश रूंगटा आर-1 फार्मेसी कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ. एजाजुद्दीन के अंडर इसी प्रोजेक्ट में पीएचडी भी कर रहे हैं।
एसोसिएट प्रोफेसर मुकेश ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को बड़े पैमाने पर शुरु करने की योजना है। इसका पेटेंट भी कराएंगे। इस देशी मॉस्किवटो रिपेलेंट को और भी यूनिक कर बाजार में उतारने की तैयारी चल रही है। इसे एक प्रोडक्ट के तौर पर पेश करने के लिए कॉलेज की इनोवेशन सेल का भी विशेष सहयोग मिलेगा। जो प्रोडक्ट के लिए बाजार तलाशेगा।