भिलाई। हृदयाघात और कोरोना के मिलते जुलते लक्षणों का खामियाजा एक 50 वर्षीय महिला को भुगतना पड़ा। सांस और सीने में हो रही तकलीफ को कोरोना से जोड़कर देखा जा रहा था जबिक महिला को दिल का दौरा पड़ा था। अनेक अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद वह हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल पहुंची। मरीज का बीपी नहीं मिल रहा था नब्ज भी 20-25 की रफ्तार से चल रही थी। इमरजेंसी में एंजियोप्लास्टी कर ब्लाकेज खोला गया तथा पेस मेकर की मदद से दिल की रफ्तार को बढ़ाया गया। पांच दिन मरीज ठीक होकर घर लौट गई। इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आकाश बख्शी ने बताया कि वैशालीनगर निवासी इस मरीज को दिल का दौरा पड़ा था। उसे सांस लेने में कठिनाई हो रही थी और सीने में दर्द भी था। यह कोरोना का भी लक्षण है। इसलिए रोग जल्दी पकड़ में नहीं आया। जब मरीज की हालत लगातार बिगड़ती गई तो उसे हाइटेक लाया गया। जांच करने पर पता लगा कि उसे दिल का दौरा पड़ा है और मुख्य धमनी में लगभग 100 फीसदी का ब्लाकेज है। तत्काल एंजियोप्लास्टी कर ब्लाकेज को खोला गया। इसके बाद भी धड़कनों में कोई सुधार नहीं हो रहा था। मरीज को पेसमेकर पर डालना पड़ा। दो दिन बाद जाकर दिल की धड़कनें सामान्य हुईं और बीपी भी नार्मल हो गया। दो दिन बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई।
डॉ बख्शी ने बताया कि हृदय रोग की जरा सी भी आशंका होने पर मरीज को तत्काल हृदयरोग विशेषज्ञ की सलाह ले लेनी चाहिए। कोरोना के मरीजों में हृदयाघात के मामले बढ़े हैं। जरा सी भी चूक मरीज के जीवन को खतरे में डाल सकती है।
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