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हेमचंद विवि में प्रशिक्षण सत्र : जन्म लेते ही शुरू हो जाते हैं मानव अधिकार

Mar 22, 2021
Human Rights Training Program at Hemchand Yadav University

दुर्ग। किसी भी शिशु के जन्म लेते ही मानव अधिकार संरक्षण संबंधी नियम लागू हो जाते हैं। बाल अधिकार अधिनियम, महिला अधिकार आदि मानव अधिकारों के अंतर्गत ही आते हैं। ये निष्कर्ष आज हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग के टैगोर सभागार आयोजित मानव अधिकार से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उभरकर सामने आया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में दुर्ग विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्राचार्य, विभिन्न संकाय के डीन, शोधार्थी, विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी तथा विद्यार्थियों हेतु राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम में डाक्यूमेंटेरी तथा फिल्मों के माध्यम से मानव अधिकार से संबंधित जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम के संचालक, एवं दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने मानव अधिकारों का परिचय पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से दिया। डॉ श्रीवास्त्व ने एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की सम्पूर्ण रूप रेखा भी प्रस्तुत की। अपने भाषण में कुलपति, डॉ अरूणा पल्टा ने इस राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली की इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम हेतु आर्थिक सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि बच्चे के जन्म के पश्चात से ही उसके लालन, पालन, पोषण, शिक्षा, रहन-सहन आदि प्रत्येक पहलू पर मानव अधिकार नियम लागू होते हैं। प्रथम प्रातः कालीन सत्र मे कल्याण महाविद्यालय, भिलाई, के डॉ आर. पी. अग्रवाल ने मानव अधिकारों की महत्ता एवं उसके दैनिक जीवन में अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला डॉ अग्रवाल ने भारत में मानव अधिकार संस्थाओं की जानकारी भी दी। उन्होंने लघु फिल्म के माध्यम से मानव अधिकार संरक्षण संबंधी प्रस्तुतिकरण दिया।
भोजन अवकाश पश्चात् द्वितीय सत्र में छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग, रायपुर के मानद सदस्य डॉ के सुब्रमनयम ने विभिन्न केस स्टडी के माध्यम से भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण पर विस्तृत प्रकाश डाला। डॉ सुब्रमनयम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 21 की रोचक व्याख्याओं की सभी प्रतिभागियों ने प्रशंसा की। अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग, रायपुर की अध्यक्षा डॉ किरणमयी नायक छत्तीसगढ़ ने महिलाओं के संबंध में मानव अधिकार संरक्षण की महत्वपूर्ण व्याख्या कीं। डॉ नायक ने महिला आयोग द्वारा सुनवाई के दौरान आने वाले मानव अधिकार संरक्षण समस्याओ से संबंधित केसों का भी उल्लेख किया। डॉ सुब्रमनयम एवं डॉ किरणमयी नायक दोनों के व्याख्यानों के पश्चात देर तक उपस्थित प्रतिभागी गण मानव अधिकारों पर विचार विमर्श करते रहें। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव, डॉ सी.एल.देवांगन ने किया।
एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के साइंस कॉलेज, दुर्ग के प्राचार्य, डॉ आर.एन.सिंह, विज्ञान संकाय के डीन, डॉ अनुपमा अस्थाना, जैविक विज्ञान संकाय के डीन, डॉ रंजना श्रीवास्तव, शिक्षा संकाय की डीन, डॉ डी. लक्ष्मी सहित विश्वविद्यालय के अधिकारीगण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव, डॉ राजमणि पटेल, डॉ आर.पी.अग्रवाल, डॉ एल. पी. वर्मा, डॉ सुमीत अग्रवाल, श्रीमती ज्योत्सना शर्मा, ए.आर. चौरे, हिमांशु शेखर मंडावी सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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