भिलाई। विश्व में बनने वाली हर चौथी दवा की टेबलेट भारत में बनी होती है। भारत में सबसे आधुनिक और सस्ती मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध होने से सारा विश्व भी अब भारत का रुख कर रहा है। इसमें फार्मास्यूटिकल क्षेत्र ने तेजी से विकास किया है। अभी और ज्यादा कार्य करने की संभावनाए हैं। रिसर्च प्रपोजल में यदि इनोवेटिव एप्रोच है और इसका आउटकम सोसाइटी के लिए लाभदायक है तो फंडिंग मिलने की संभावनाएं बहुत ज्यादा होती है। ये बातें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली के प्रोफेसर डॉ. संयोग जैन ने कहीं। देश के शीर्ष दो फीसदी फार्मास्यूटिकल वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किए गए डॉ. संयोग शुक्रवार को संतोष रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च में बतौर गेस्टर लेक्चरर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार मेडिकल और फार्मास्यूटिकल पर विशेष तवज्जो दे रही है। इसलिए रिसर्च की फंडिंग में कहीं दिक्कत नहीं आएगी। बशर्ते आपको रिसर्च प्रपोजल बेहतर तरीके से बनाना होगा।
उन्होंने रूंगटा आर-1 के फैकल्टी को रिसर्च प्रपोजल बनाने के टिप्स भी दिए। रिसर्च पब्लिकेशन के लिए जरूरी मापदंडों के बारे में बताया। कहा कि फार्मा की फील्ड अगले कई दशकों तक युवाओं को बेहतरीन कॅरियर का मौका देगी। कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. डीके त्रिपाठी, उपप्राचार्य डॉ एजाजुद्दीन, प्रोफेसर कार्तिक नखाते, मुकेश शर्मा, डॉ. माधुरी बघेल मौजूद रहे।