दुर्ग। भूविज्ञान में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। भूवैज्ञानिकों का देश को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में विशेष योगदान है। ये उद्गार भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण जीएसआई के पूर्व डायरेक्टर जनरल नीतिश दत्ता ने व्यक्त किये। श्री दत्ता शास. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के भूविज्ञान विभाग द्वारा भूवैज्ञानिक दिवस के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय वेबीनार में बड़ी संख्या में जुड़े भूवैज्ञानिक अध्यापकों तथा भूविज्ञान के छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। श्रीदत्ता ने विद्यार्थियों का आव्हान किया कि बड़ी कड़ी मेहनत, सच्चाई, परिश्रम व आत्मविश्वास के बल पर ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। इससे पूर्व वेबीनार के आरंभ में साइंस कालेज दुर्ग के भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ श्रीनिवास देशमुख ने भूविज्ञान दिवस की महत्ता, वेबीनार के आयोजन तथा भूविज्ञान के प्रतिभाशाली भूतपूर्व विद्यार्थियों का ब्यौरा दिया। भूविज्ञान के प्राध्यापक एवं वर्तमान में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के अधिष्ठता छात्र कल्याण डॉ प्रशान्त श्रीवास्तव ने फील्ड में कार्यरत भूवैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे चट्टानों के नमूनों को एकत्रित करें। यह आनेवाली पीढी के लिये हमारा बहुमूल्य योगदान होगा। अंचल के प्रसिद्ध भूगर्भशास्त्री अरविंद सिंह ने भूवैज्ञानिकों की फील्डवर्क के दौरान कठिनाई भरी जिंदगी से जुड़े कई संस्मरण सुनाये। इग्नू नई दिल्ली के प्राध्यापक डॉ बंशीधर देशमुख ने विद्यार्थियों को अपनी हिचकिचाहट मिटा कर शिक्षकों से प्रश्न पूछने की सलाह दी। एमईसीएल में वरिष्ठ भूवैज्ञानिक भुनेश्वर कुमार ने फील्डवर्क के अपने अनुभवों को साझा किया। आदित्य बिड़ला समूह के भूवैज्ञानिक मनीष दीक्षित ने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा कि समूची पृथ्वी भूवैज्ञानिकों के लिये प्रयोगशाला है। भूविज्ञान के धरमेश ने अंग्रेजी भाषा में पकड़, सामान्य ज्ञान का अध्ययन तथा लेखन क्षमता को सफलता के लिए आवश्यक बताया। वेबीनार के दौरान भूविज्ञान के विद्यार्थियों मानसी यदु, हितिका, अंकुश, मोनिका कश्यप आदि ने प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा का समाधान किया।
इस वेबीनार में सीताराम, मनदीप सिंह, ईशा, नोमिता साहू, सहित सौ से ज्यादा भूवैज्ञानिक शामिल हुए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. एस.डी. देशमुख ने किया।