दुर्ग। शासकीय डॉ वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग के नृत्य विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर भूतपूर्व और वर्तमान में नृत्य विषय अध्ययनरत छात्राओं का सम्मिलन समारोह ऑनलाईन आयोजित किया गया। देश के अलग-अलग हिस्सों में निवासरत छात्राओं ने उत्साहपूर्वक अपनी भगीदारी की। इस डिजिटल कार्यक्रम में नृत्य विषय की अनेक छात्रायें उपस्थित थी।प्राचार्य डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने इस अवसर पर आशीर्वचन देते हुए कहा कि हमारे महाविद्यालय के लिये यह अत्यंत गौरव की बात है कि इस अंचल में केवल यहीं नृत्य स्नातक स्तर पर विषय के रूप में पढ़ाया जाता है और छात्राओं में इसे सीखने की अत्यधिक रूचि भी है। पूर्व छात्रायें अपने-अपने स्थानों पर अपनी रूचि बचाये हुये हैं यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस विषय में स्नातकोत्तर कक्षायें भी आरंभ करने हेतु शासन स्तर पर पहल की जायेगी।
कार्यक्रम के आरंभ में सर्वप्रथम छात्राओं ने भूमिवंदना की जो कि अद्भुत संगत को परिभाषित कर रहा था। इसके पश्चात् सर्वप्रथम बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा दीपिका साहू ने जीवन और नृत्य को जोड़ते हुए कविता पाठ किया। बी.ए. प्रथम की शेफाली सेन ने विश्व नृत्य दिवस की अवधारणा को बताते हुए नृत्य को आत्मा से जोड़ने वाली कहा।
महाविद्यालय की पूर्व छात्रा निकिता पाण्डेय ने कहा कि यहाँ से निकलने के बाद वे छोटे-छोटे बच्चों को शास्त्रीय नृत्य सिखाने की कोशिश कर रहीं है। विभा कसेर ने कहा कि- भरत नाट्यम सीखने से स्वयं में अनुशासन की अनुभूति हुई हैं।
बी.ए. अंतिम की छात्रा रिया टेम्बुरकर ने बताया कि – शास्त्रीय नृत्य सीखने से उन्हें अन्य नृत्य को समझना आसान हुआ और वे कोरियोग्राफी के क्षेत्र में जाना पसंद करेगी। वहीं जम्मू में छोटे-छोटे बच्चों को शास्त्रीय नृत्य भरत नाट्यम का प्रशिक्षण देने वाली कीर्ति कश्यप ने कहा कि इस महाविद्यालय में प्राथमिक तौर पर भरत नाट्यम सीखना उनके जीवन का सबसे अच्छा अनुभव रहा। वे अपने बच्चों को भी यह नृत्य सिखा रही हैं।
बी.ए. द्वितीय वर्ष की शारदा एवं काजल ने बताया कि वे इस महामारी के बचाव के संदेश पर छोटा सा नृत्य तैयार कर रही है जिसे शीघ्र ही वेबसाईट पर हम देख सकेंगे।
विभागाध्यक्ष डॉ ऋचा ठाकुर ने कहा कि स्नातक स्तर पर हर तरह की छात्रायें प्रवेश लेती हैं। कुछ में शीघ्र सीख लेने की प्रतिभा होती है कुछ को समय लगता है किन्तु दोनों ही तरह की छात्रायें यहाँ के अनुभव को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करती हैं और महाविद्यालय से जाने के बाद भी विभाग से जुड़ाव महसूस करती है।
इतिहास विषय की सहायक प्राध्यापक शबीना बेगम ने आभार व्यक्त किया और साथ ही अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे स्कूली जीवन में नृत्य पसंद करती थीं लेकिन महाविद्यालय में नृत्य लेने के बाद उन्हें अनेक स्थानों में प्रदर्शन करने का मौका मिला और इसमें उन्होनें विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व भी किया।