एमजे कालेज में सप्ताहव्यापी एलुमनाई व्याख्यानमाला
भिलाई। अच्छा लिखने वाला हमेशा अच्छा वक्ता नहीं होता। कल्पनाशील और विचारवान व्यक्ति अपने विचारों के सम्प्रेषण के लिए अलग अलग माध्यम चुन सकता है। अंतर्मुखी व्यक्ति अच्छा लेखक हो सकता है किन्तु अच्छा वक्ता बनने के लिए व्यक्ति का बहिर्मुखी होना जरूरी होता है। यह बातें कल्याण महाविद्यालय अंग्रेजी विभाग के सहायक प्राध्यापक अजय कुमार साहू ने आज एमजे कालेज एलुमनाई एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किये।सात दिवसीय इस कार्यशाला में प्रतिदिन एमजे कालेज के पूर्व विद्यार्थियों द्वारा जीवनोपयोगी विषयों पर व्याख्यान दिया जा रहा है। आज व्याख्यान का दूसरा दिन था। ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर, प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे, शिक्षा विभाग की प्रभारी डॉ श्वेता भाटिया सहित सहायक प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
श्री साहू ने आगे कहा कि मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का गुणों के आधार पर वर्गीकरण किया है। यह वर्गीकरण व्यक्ति के बाह्य स्वरूप, उसके व्यवहार तथा विचार के आधार पर किया गया है। केश्मर ने शरीर रचना के आधार पर जहां इसके चार प्रकार –पिकनिक, एस्थेनिक, एथलेटिक और डिस्प्लास्टिक बताए हैं वहीं शेल्डन ने इसी आधार पर उन्हें एक्टोमॉर्फिक, मेसोमॉर्फिक एवं एन्डोमार्फिक में बांटा है। विलियम जेम्स ने भावुकता के आधार पर मनुष्यों को कोमल हृदय वाले तथा कठोर हृदय वालों में बांटा है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहा कि यह व्याख्यान उन सभी लोगों के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगा जो अपने व्यक्तित्व को निखारना चाहते हैं। ऐसे लोग अब स्वयं अपना आकलन कर सकते हैं और उसमें सुधार के लिए विभिन्न उपाय कर सकते हैं। उन्होंने महाविद्यालय की निदेशक के प्रति भी आभार व्यक्त किया जिनकी प्रेरणा से इस शृंखला का आयोजन किया गया है।
उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व मूल रूप से कैसा भी हो उसे प्रयासों से निखारा जा सकता है। उन्होंने इसके उपायों की भी चर्चा की। व्याख्यान के अंत में विद्यार्थियों ने प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा शांत की। आरंभ में शिक्षा विभाग की सहायक प्राध्यापक मंजू साहू ने अतिथि का परिचय दिया।