दुर्ग। मानव अधिकार हमारे जन्म से ही लागू हो जाता है। मौलिक अधिकारों के प्रति हमें सदैव सचेत रहना चाहिये वर्ना इसका फायदा दूसरे लोग उठा सकते हैं। ये बातें हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने आज कहीं। डॉ पल्टा शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के राजनीतिशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित सात दिवसीय वेब श्रृंखला में ‘‘मानव अधिकार’’ पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रही थीं। डॉ पल्टा ने महिलाओं से अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहने को कहा। उन्होंने बताया कि संविधान में मानव अधिकारों की विस्तृत व्याख्या की गई है। विश्वस्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर एवं राज्य स्तर पर भी मानव अधिकार आयोगों की स्थापना की गई है। इनमें से किसी से भी संपर्क कर महिलाएं मानव अधिकार संरक्षण प्राप्त कर सकती हैं।
इससे पूर्व कार्यक्रम के संयोजक डॉ शकील हुसैन ने बताया कि वेबीनार में भारत के 300 से ज्यादा प्रतिभागी प्राध्यापक, प्राचार्य, शोधार्थी शिक्षा ले रहे हैं। आरंभ में डीवी गर्ल्स कॉलेज रायपुर की डॉ उषाकिरण अग्रवाल ने डॉ पाल्टा का परिचय दिया। वेबीनार की सहसंयोजक डॉ कमर तलत तथा डॉ संजू सिन्हा भी इस अवसर पर उपस्थित थी। प्राचार्य डॉ आर. एन. सिंह के अस्वस्थयता के कारण उनका संदेश डॉ शकील हुसैन ने वाचन किया।
अपने व्याख्यान के दौरान डॉ पल्टा ने बताया कि मानव अधिकार समानता का परिचायक है। मानव अधिकार बिना किसी जाति, लिंग, वर्ण, आर्थिक स्तर का विभेद किये सभी पर एक समान रूप से लागू होता है। डॉ पल्टा ने कहा कि महिला एवं पुरूष दोनों सिक्के के दो पहलू हैं। हमारे समाज में यह धारणा है कि अनेक कार्य महिलाएं नहीं कर सकती। ऐसा नहीं है। हम लिंग भेद नहीं कर सकते। व्याख्यानों में तो लोग बड़ी-बड़ी बातें करके स्त्री-पुरूष समान दर्शाते हैं परन्तु यथार्थ के धरातल पर आज भी स्त्री-पुरूष में भेद करने वाली विचार धारा कायम है। प्रत्येक तीन में से एक महिहला कभी न कभी अपने जीवनकाल में यौन शोषण का शिकार होती है। मजदूरों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मिस्त्री व महिला रेजा की मजदूरी में काफी अंतर होता है।
डॉ पल्टा के व्याख्यान का उपस्थित प्रतिभागियों ने भरपूर आनंद लिया तथा अनेक प्रश्न भी पूछे। साइंस कालेज दुर्ग के राजनीतिशास्त्र विभाग द्वारा आयोजिजत किये जा रहे एक सप्ताह के वेबीनार की सराहना करते हुए डॉ पल्टा ने कहा कि अस प्रकार के आयोजन से विद्यार्थियों को विषय की नवीनतम जानकारी मिलती है। डॉ पल्टा ने सुकरात दार्शनिक के कथन का भी उदाहरण दिया। इस अवसर पर दुर्ग वि.वि. के अधिष्ठाता छात्र कल्याणडॉ प्रशांत श्रीवास्तव सहित लगभग 300 से ज्यादाप्रतिभागी उपस्थित थे।