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थाली में आधा भाग भोजन और आधा फलों का होना चाहिए – डॉ पल्टा

May 5, 2021
Nutrition in Covid Times

दुर्ग। हमारे दैनिक भोजन की थाली में आधा भोजन तथा आधा फल होना चाहिये। फल इससे हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ये उद्गार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने आज व्यक्त किये। डॉ पल्टा आज विश्वविद्यालय द्वारा राजभवन के निर्देश पर आयोजित “कोविड- 19 संक्रमण काल में खानपान के तरीके” विषय पर लगभग 800 प्राध्यापकों, प्राचार्यो, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों को ऑनलाईन संबोधित कर रही थीं। डॉ पल्टा ने कहा कि प्रातः का नाश्ता राजा की तरह अर्थात् प्रोटीन, कार्बोहाइडेªट, मिनरल्स, जूस, शुष्क मेवे आदि से युक्त होना चाहिये। दोपहर का भोजन एक सामान्य आदमी की तरह चपाती, दाल, चावल, हरी सब्जी, सलाद आदि से पूर्ण होना चाहिये। रात्रि का भोजन हमें काफी हल्का लेना चाहिये। विचारकों एवं आहार विशेषज्ञों ने रात्रि के खाने की तुलना मांगने वाले व्यक्तियों के भोजन से की है।
उल्लेखनीय है कि डॉ अरूणा पल्टा देश भर की जानी मानी आहार एवं पोषण विशेषज्ञ हैं। कोरोना संक्रमण की अवधि में प्राचार्यो व प्राध्यापकों के आग्रह पर अपना ऑनलाईन व्याख्यान देते हुए डॉ पल्टा ने बताया कि हमें हमेशा तांबे के बर्तन में रखे पानी का सेवन करना चाहिये। यदि उस बर्तन में हम चांदी का सिक्का डाल दें अथवा चांदी के गिलास में पानी लेकर पियें तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी रहेगा। डॉ पल्टा के अनुसार हमें संतरा, नीबू, आवंला आदि विटामिन सी युक्त फलों का ज्यादा सेवन करना चाहिये। हमारे पाचन तंत्र में अल्कलाईन अथवा क्षारीय पदार्थो की उपस्थिति लाभप्रद होती है। सेव, अनार, नाशपाती, अनानास, आदि इस लाभकारी फलों की श्रेणी में आते हैं।
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलगीत प्रस्तुतिकरण तथा कोरोना गीत के प्रस्तुतिकरण के साथ आरंभ हुए डॉ पल्टा के व्याख्यान के पूर्व विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने व्याख्यान की विषय वस्तु तथा कोविड- 19 संक्रमण काल पर प्रकाश डाला। आधुनिक युग में विशेषकर युवाओं की बिगड़ती दिनचर्या का विश्लेषण करते हुए डॉ पल्टा ने कहा कि हमें सदैव प्रातः जल्दी उठने का प्रयास करना चाहिये। प्रत्येक मनुष्य में एक जैविक घड़ी होती है उसी के अनुसार उसकी दिनचर्या निर्धारित् होती है।
युवाओं द्वारा देर रात्रि जागरण पर बोलते हुए डॉ पल्टा ने कहा कि रात 11 बजे से 3 बजे के मध्य हमारा लीवर दिन भर शरीर में प्रवेश किये हुए हानिकारक तत्वों को फिल्टर कर पृथक करने का कार्य करता है। यदि आप 12 या 1 बजे रात को सोयेंगे तो लीवर को हानिकारक तत्वों को पृथ्ककरण का अवसर नहीं मिलेगा। प्रातः काल 3 से 5 तथा 5 से 7 बजे के मध्य शरीर में होने वाले रक्त प्रवाह की दिशा का भी डॉ पल्टा ने गहराई से विश्लेषण किया।
भारतीय रसोईघरों में विद्यमान विभिन्न मसालों के औषधीय महत्व का गहराई से विश्लेषण करते हुए डॉ पल्टा ने लहसुन, नीबू, अदरक, दालचीनी, हरी घनिया, सोंठ, कालीमिर्च, सौंफ, लौंग, इलायची, को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। गिलोय का सेवन तथा प्रतिदिन गर्मपानी का सेवन, गर्मपानी में नमक हल्दी डालकर गरारे करना तथा भाप को नियमित रूप से लेना को डॉ पल्टा ने अपनी दिनचर्या में शामिल करने को कहा। डॉ पल्टा के व्याख्यान को सभी लोगो ने सराहा। अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रतिभागियों में शास. डी.बी. गर्ल्स कॉलेज, रायपुर की प्राध्यापक डॉ उषा किरण अग्रवाल तथा भिलाई शंकराचार्य कॉलेज की प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह ने दिया।

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