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नैक में सहयोग के लिए ऐसे बनाएं समूह : उच्च शिक्षा आयुक्त

May 7, 2021
NAAC workshop inaugurated by Secretary Higher Education

दुर्ग। आयुक्त उच्च शिक्षा श्रीमती शारदा वर्मा ने आज कहा कि प्रदेश में स्तरीय उच्च शिक्षा संस्थानों का अभाव है। नैक मूल्यांकन के लिए सभी महाविद्यालयों को तैयारी करनी है। इस कार्य को समूह में बेहतर ढंग से किया जा सकता है। समूहों का गठन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि इसका अधिकतम लाभ मिले। श्रीमती वर्मा हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा नैक मूल्यांकन पर आयोजित ऑनलाइन कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं।Panelists NAAC Workshopछह दिवसीय इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए आयुक्त उच्च शिक्षा ने कहा कि महाविद्यालयों को तीन समूहों में बांटा जा सकता है। एक समूह में वे महाविद्यालय जिनका ग्रेडेशन हो चुका है और जो उन्नयन के लिए प्रयास कर रहे हैं, दूसरे समूह में ऐसे महाविद्यालय जो एसएसआर भर चुके हैं और तीसरे समूह में ऐसे महाविद्यालय जो अभी पात्र नहीं हैं पर जिन्हें तैयारी करनी है। इन समूहों की आवश्यकता के अनुसार सामग्री तैयार करना आसान होगा और वह प्रतिभागियों के लिए उपयोगी भी होगा।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी ने कहा कि नैक कोई भूत नहीं है। इससे भयभीत न हों पर सतर्क जरूर रहें। मूल्यांकन में 70 फीसदी अंक क्वांटिटी पर और 30 प्रतिशत उसकी क्वालिटी पर होता है। नैक एक्सपर्ट्स की बाढ़ आई हुई है उनसे बचें तथा अपने विश्वविद्यालय तथा उच्च शिक्षा विभाग के लोगों पर भरोसा करें। प्राचार्य सातों क्रायटेरिया का स्वयं अध्ययन करें तथा मैथडोलोजी को समझें। विश्वविद्यालय प्राचार्यों को देश के चोटी के महाविद्यालयों का भ्रमण कराएं ताकि उनका एक्सपोजर बढ़े। कही गई हर बात का दस्तावेजी साक्ष्य तैयार रखें।
प्रथम दिवस के सत्र को समाप्त करते हुए हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने कहा कि करिकुलम सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ स्टडीज तैयार करता है। उपलब्ध फैकल्टीज तथा विषयों के अनुसार हम अलग अलग कॉम्बिनेशन विद्यार्थियों को उपलब्ध करा सकते हैं। इन्हें अलग-अलग प्रोग्राम के रूप में दिखाया जा सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कार्यशाला का लाभ सभी महाविद्यालयों को मिलेगा तथा क्रायटेरिया सभी के लिए स्पष्ट हो जाएगा।
आरंभ में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने अतिथितयों का परिचय देते हुए कहा कि विपरीत समय हमेशा नए अवसर भी प्रदान करती हैं। लॉकाडाउन के बीच प्राचार्यों, नैक समन्वयकों एवं आईक्यूएसी प्रभारियों के साथ मिलकर विश्वविद्यालय लगातार रचनात्मक प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि नैक मूल्यांकन में महाविद्यलयों की मदद करने के लिए इस छह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए दुर्ग संभाग से बाहर के महाविद्यालयों के प्राचार्य भी जुड़े हैं। उद्घाटन सत्र को कुलसचिव डॉ सीएल देवांगन ने भी संबोधित किया।

उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने नैक हेतु आवेदन के विभिन्न चरणों एवं फीस की चर्चा की। इसके बाद क्रायटेरिया-1 पर विस्तृत चर्चा की गई। इसमें पैनेलिस्ट के रूप में उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय संचालक डॉ सुशील चन्द्र तिवारी, डॉ रक्षा सिंह, डॉ जगजीत कौर सलूजा, डॉ अनुपमा अस्थाना एवं डॉ प्रशांत श्रीवास्तव उपस्थित थे। विभिन्न शासकीय तथा निजी महाविद्यालयों के प्रतिभागियों ने करिकुलन, प्रोग्राम,  अतिरिक्त विषय तथा ऐच्छिक विषयों के अंतर को समझने के लिए अनेक प्रश्न पूछे जिनका जवाब पेनेलिस्ट्स ने दिया। कार्यशाला के प्रथम दिवस लगभग 500 प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया।

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