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नैक से महाविद्यालयों में होगी रचनात्मक प्रतिस्पर्धा – सचिव उच्च शिक्षा

May 13, 2021
Webinar on NAAC concludes at Hemchand Yadav University

दुर्ग। नैक द्वारा महाविद्यालयों के मूल्यांकन एवं प्रत्यायन से महाविद्यालयों के विभिन्न विभागों तथा शैक्षणिक स्टाफ में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का विकास होता है। सभी महाविद्यालयों को स्वेच्छा से नैक मूल्यांकन हेतु प्रयास करना चाहिये। ये उद्गार छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग के सचिव धनंजय देवांगन ने आज व्यक्त किये। श्री देवांगन हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग द्वारा आयोजित आनलाईन कार्यशाला के समापन समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी संबोधित कर रहे थे। ‘‘नैक मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के समस्त बिंदुओं पर केंद्रित इस कार्यशाला में 600 से अधिक प्राध्यापकों, प्राचार्यों, आईक्यूएली समन्वयकों, नैक समन्वयकों एवं अन्य प्राध्यापकों तथा दुर्ग विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारी शामिल थे। श्री देवांगन ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन की यह मंशा है कि हम सभी नैक मूल्यांकन का कार्य मिशन मोड पर करते हुए सन् 2022 तक अनिवार्य रूप से इसे संपादित कर लें। शासन द्वारा महाविद्यालयों की सहायता हेतु राज्यस्तर, विश्वविद्यालय स्तर तथा जिला स्तर पर विशेषज्ञों की समिति बनाई गई है। उच्च शिक्षा सचिव ने कहा कि नैक मूल्यांकन के दौरान हमें स्वयं के द्वारा विगत 5 वर्षों में किये गये अकादमिक, सांस्कृतिक, खेलकूद, सामाजिक, शोध, अधोसंरचना विकास, लीडरशिप के क्षेत्र में किये गये कार्यों की वास्तविकता का पता चलता है। श्री देवांगन ने हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा को बधाई देते हुए विश्वविद्यालय द्वारा लगातार की जा रही रचनात्मक गतिविधियों की सराहना की।
इससे पूर्व समापन सत्र के आरंभ में दुर्ग विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने विगत 6 दिनों में कार्यशाला के कार्यवृत्त का विवरण प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय के कुलगीत प्रस्तुतिकरण के साथ आरंभ हुए इस आॅनलाईन कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि यह छः दिवसीय कार्यशाला अत्यंत सफल रही। प्रतिदिन 500 से अधिक प्रतिभागियों की उपस्थिति इसका स्पष्ट प्रमाण है। डॉ पल्टा ने बताया कि दुर्ग विश्वविद्यालय के अतंर्गत आने वाले अधिकांश महाविद्यालयों में नैक मूल्यांकन हेतु आरंभिक तैयारियां जोरों पर हैं। शीघ्र ही अनेक निजी एवं शासकीय महाविद्यालय नैक मूल्यांकन करवाने हेतु अपना आवेदन प्रस्तुत कर देंगे।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ केशरी लाल वर्मा ने नैक मूल्यांकन को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि नैक मूल्यांकित महाविद्यालयों को अच्छा ग्रेड प्राप्त होने पर जहा एक ओर समाज एवं विद्यार्थियों के बीच प्रतिष्ठा मिलती है वहीं दूसरी ओर यूजीसी, रूसा आदि विभिन्न राष्ट्रीय एजेंसी से प्राप्त होने वाले अनुदान में भी वृद्धि होती है। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में नैक के सातों बिंदु पर बिंदुवार चर्चा एवं समस्याओं के समाधान को प्रो. वर्मा ने महाविद्यालयों की वास्तविक आवश्यकता निरूपित किया। प्रो. वर्मा ने नैक मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान महाविद्यालयों द्वारा ध्यान में रखी जाने वाली बातों को रेखांकित भी किया।
समारोह के संचालक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि छः दिवसीय कार्यशाला में महाविद्यालयों की समस्याओं के निराकरण हेतु विश्वविद्यालय द्वारा एक विशेषज्ञ पैनल गठित किया गया था। इसमें दुर्ग संभाग के उच्च शिक्षा के अपर संचालक डॉ सुशील चंद्र तिवारी, डॉ अरूणा पल्टा कुलपति, डॉ अनुपमा अस्थाना, डॉ सोमाली गुप्ता, डॉ रक्षा सिंह, डॉ जगजीत कौर सलूजा, डॉ जी.ए. घनश्याम तथा डॉ प्रशांत श्रीवास्तव शामिल थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सी.एल. देवांगन ने किया। समापन समारोह में अपना फीडबैक देने वालों में पैनलिस्ट की तरफ से डॉ सोमाली गुप्ता तथा डॉ सुशील चंद्र तिवारी शामिल थे जबकि प्रतिभागियों की तरफ से स्वामी स्वरूपानंद कालेज डॉ हंसा शुक्ला तथा सांई कालेज से डॉ ममता सिंह शामिल थी।
आॅनलाईन कार्यशाला के समापन समारोह के ठीक पहले अपने आमंत्रित व्याख्यान में शासकीय डी.बी. गल्र्स कालेज रायपुर की मनोविज्ञान की प्राध्यापक डॉ उषा किरण अग्रवाल ने ‘‘वर्तमान कोविड – 19 की संकट की घड़ी में होने वाले मनोवैज्ञानिक दाब के निराकरण‘‘ पर सारगर्भित जानकारी प्रस्तुत की। पावर पाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से डॉ अग्रवाल ने बताया कि हमारी मनः स्थिति का प्रभाव हमारे सम्पूर्ण शरीर पर पड़ता है। अतः कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हों, हमें अपना मनोबल सदैव ऊंचा रखना चाहिये। मनोवैज्ञानिक दाब को स्वाभाविक प्रक्रिया निरूपित करते हुए डॉ उषाकिरण अग्रवाल ने बताया कि जब हमारे मन में निराशा जैसा भाव जागृत होने लगे तो हमें तत्काल अपने मष्तिस्क को दूसरे रचनात्मक कार्यों की तरफ डायवर्ट करना चाहिये। संगीत सुनना, फिल्में देखना, अपने मनपसंद लोगों से वार्तालाप करना आदि डायवर्ट करने के विभिन्न तरीके हैं। डॉ अग्रवाल ने अनेक उदाहरण देकर मनोवैज्ञानिक दाब से निजात पाने के अनेक उपायों की जानकारी दी। डॉ उषाकिरण द्वारा दिये गये आमंत्रित व्याख्यान की सभी प्रतिभागियों ने सराहना की।

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