भिलाई। “अगर इस जहां में मजदूर का न नामोनिशान होता फिर ना होता ताजमहल और ना शाहजहां होता।” 1 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस, श्रमिक दिवस या मजदूर दिवस के अवसर पर श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी में ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने राष्ट्र निर्माण में श्रमिकों के योगदान एवं ऐतिहासिक श्रम आंदोलन तथा भारत में श्रमिक दिवस के इतिहास की चर्चा की।अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में श्रम के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना था। विद्यार्थियों ने पावर पाइंट प्रेजेन्टेशन, वीडियो प्रेजेन्टेशन के द्वारा अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस भारत समेत 100 देशों में 1 मई को मनाया जाता है। भारत में सबसे पहले किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान के नेता कॉमरेड सिंगारवेलू चेट्टियार की अगुवाई में मजदूर दिवस मनाया गया।
बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्रा प्रीति हालदार ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से श्रम दिवस के महत्व को समझाया। वही एम.ए. थर्ड सेमेस्टर की छात्रा स्नेहा ने श्रमिकों के प्रति होने वाले अन्याय के विषय में अपने विचार व्यक्त किए। बी.ए. फाइनल ईयर की ताशा सिंह एवं एम.ए. प्रथम सेमेस्टर की हिमशिखा एवं कल्पना ने भी इसी संदर्भ में अपने मत व्यक्त किए।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य एवं निदेशक डॉ रक्षा सिंह ने श्रम दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि केवल तकदीर की बदौलत हमें बुलंदी नहीं मिल पाती। कठिन श्रम करना पड़ता है तभी हम मंजिल तक पहुंच पाते हैं। महाविद्यालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ जे दुर्गा राव ने कहा कि यह मजदूर ही हैं जो झोपड़ी में रहते हुए लोगों के लिए महलों का निर्माण करते हैं। देश की अर्थव्यवस्था भी इन्हीं मजदूरों के हाथ में सुरक्षित है। विभागाध्यक्ष डॉ लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती ज्योति मिश्रा, शर्मिष्ठा सहित कला संकाय के सभी प्राध्यापक ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे।