दुर्ग। मानव जाति को कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने आक्सीजन की महत्ता का पाठ पढ़ा दिया। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेज राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष शंकर वराठे, पुष्पेन्द्र कुमार वर्मा, ईश्वर सिंह एवं पदाधिकारियों ने, पर्यावरण दिवस पर पेड़ों के महत्व को समझते हुए पेड़ लगाने हेतु लोगों को प्रेरित किया। एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष शंकर वराठे ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2021-30, एक दशक को ईकोसिस्टम रिस्टोरेशन के रूप में मना रहा है। आज पृथ्वी का ईकोसिस्टम रिस्टोरेशन पूरी तरह से बिगड़ गया है। सर्वे एवं रिसर्च से प्राप्त डेटा बताते हैं कि संसार में वन्य प्राणियों में 45% और वनस्पति में 12% से अधिक कमी आई है। । इन आंकड़े से ज्ञात होता है, कि हमारे बीच वनो, हाथी, बाघों, शेरों, हिरणों, पक्षियों और अन्य अद्भुत वन्यजीवों की संख्या लगातार घट रही है या यह कहें कि विलुप्त होने के कगार पर है। इससे प्रकृति का संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है। इसलिए पृथ्वी में जीवन का संतुलन बनाए रखने के लिए जानवरों, पेड़ों और पौधों को संरक्षित करना बहुत जरूरी है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2021-30 को ईकोसिस्टम रिस्टोरेशन को पुनर्स्थापित करने संयुक्त राष्ट्र दशक’ के रूप में घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण को बहाल करने, इकोसिस्टम रिस्टोरेशन के लिए, विभिन्न योजनाएं बनाई जैसे फर्मलैंड इकोसिस्टम, फॉरेस्ट इकोसिस्टम, फ्रेशवाटर इकोसिस्टम, ग्रासलैंड इकोसिस्टम, माउंटेन इकोसिस्टम, मरीन इकोसिस्टम पीटलैंड इकोसिस्टम एवं अर्बन इकोसिस्टम है। इन योजनाओं से जल संवर्धन, थल संवर्धन, वन संवर्धन होंगे। कार्यक्रम में शंकर वराठे, पुष्पेन्द्र कुमार वर्मा, ईश्वर सिंह, रोशतम मंडल, देवेश एवं आदित्य आदि उपस्थित थे।