दुर्ग। प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनूप वर्मा ने आज कहा कि दूध पिला रही माताओं को टीका लगवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिशु को आरंभिक 1000 दिनों में मिला पोषण जीवन भर उसकी रक्षा करते हैं। इसी अवधि में उसके मस्तिष्क का पूर्ण विकास होता है। डॉ अनूप वर्मा हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चिकित्सकों की व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे।“मीट द डॉक्टर” के नाम से आयोजित इस व्याख्यान श्रृंखला का आज तीसरा दिन था। कुलपति डॉ अरुणा पल्टा की प्रेरणा से आयोजित इस व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए डॉ अनूप वर्मा ने कहा कि कोविड के टीके को लेकर रोज नई बातें सामने आ रही हैं। इसलिए बेहतर यही होगा कि गर्भवती महिलाएं शासन के निर्देशों का पालन कर स्वयं को सुरक्षित रखें। हालांकि दूध पिला रही माताएं टीका लगवा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि 15.5 करोड़ बच्चे विकास अवरोध के शिकार हैं। 40 प्रतिशत प्री स्कूल बच्चे रक्ताल्पता के शिकार हैं। इस तरह से देखें तो हर तीसरा बच्चे का विकास अवरुद्ध है और प्रत्येक पांचवा बच्चा गंभीर कुपोषण का शिकार है। उन्होंने कहा कि बच्चों शासन की योजनाओं के लाभ से वंचित न रखें। सभी टीकें लगाएं तथा शासन की सभी पोषण योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ लें।
स्वपनिल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, रायपुर के डाॅ. अनुप वर्मा ने बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारी दी। डाॅ. अनुप वर्मा ने बताया कि लगभग 40 प्रतिशत बच्चों में आयरन की कमी के कारण वें एनीमिक हो जाते हैं। हमारे छत्तीसगढ़ में अधिकांश बच्चों में आयरन के साथ-साथ आयोडीन, फोलिक एसिड, विटामिन ए, जिंक, तथा विटामिन सी एवं डी की कमी देखने को मिलती है। ग्रामीण अंचलों के बच्चों में जिंक की कमी के कारण चहरे में अनेक प्रकार के दाग धब्बे देखने को मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में आरंभिक हजार दिनों में मिला पोषण बेहद महत्वपूर्ण होता है। इन हजार दिनों में गर्भधारण के दिन से शुरू होकर शिशु के 2 साल की उम्र तक का वक्त शामिल है। यह पोषण न केवल बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए बल्कि भावी जीवन में संभावित विभिन्न रोगों से भी उसकी सुरक्षा करता है।
विभिन्न विटामिनों, उनसे होने वाले लाभ तथा उनके अभाव में होने वाली बीमारियों की विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को विटामिन की कमी से होने वाली अधिकांश बीमारियों को देखकर ही पहचाना जा सकता है तथा उसका इलाज शुरू किया जा सकता है। इसके लिए बहुत ज्यादा टेस्ट आदि की आवश्यकता नहीं होती।
प्रतिभागियों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ अनूप ने कहा कि 0 से 6 माह तक के शिशु के लिए उसकी मां का दूध पर्याप्त होता है। हालांकि 4 माह की उम्र से उसे ऊपर का आहार देना प्रारंभ कर देना चाहिए।
विटामिन डी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह न केवल हड्डियों के लिए बल्कि दिमाग, हृदय तथा किडनी के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है। इसे प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन कुछ घंटों के लिए धूप का सेवन करना सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने बताया कि धूप का सेवन प्रातः 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच किया जा सकता है।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बच्चे के विकास पर नजर रखने के लिए उसके वजन पर नजर रखनी चाहिए। यदि बच्चे का वजन धीरे-धीरे क्रमशः बढ़ रहा है तो चिंता की कोई बात नहीं है। बच्चे का शेष विकास अपने माता-पिता से मिले जीन्स के आधार पर होता है।
कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य पर आधारित यह व्याख्यान सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। लोगों को अनेक महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी प्राप्त हुई है। इस व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन इसी उद्देश्य को लेकर लेकर किया गया है जहां प्रतिदिन विषय़ विशेषज्ञ लोगों को महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कर रहे हैं।
आरंभ में डॉ अनूप वर्मा का परिचय हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने दिया। उन्होंने बताया कि आज के व्याख्यान में 350 से अधिक लोग ऑनलाइन जुड़े रहे जबकि इससे भी अधिक संख्या में लोगों ने इसे यूट्यूब पर लाइव देखा। कल 9 जून को इंदौर के विशेषज्ञ म्यूकॉर माइकोसिस पर सारगर्भित जानकारी प्रदान करेंगे।