भिलाई। कामकाजी माता-पिता अकसर बच्चे को डायपर पहनाकर निश्चिंत हो जाते हैं। संभवतः वे इस बात से अनजान होते हैं कि डायपर की नमी न केवल डायपर रैश का कारण बन सकते हैं बल्कि इससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और डर्मेटाइटिस का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। यह खतरा बारिश के दिनों में और बढ़ जाता है।
हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश देवांगन ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि डायपर का उपयोग करते हुए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। डायपर को प्रत्येक 3-4 घंटे में चेक करना चाहिए। एक डायपर का उपयोग अधिकतम 6 घंटे तक किया जा सकता है। गीले डायपर को निकालने के बाद बच्चे को अच्छे से साफ करें और तभी दूसरा डायपर पहनाएं।
डॉ मिथिलेश ने बताया कि बारिश के दिनों में खान-पान की स्वच्छता के साथ ही बच्चे के हाथों की बार-बार सफाई जरूरी हो जाती है। बच्चों के कपड़ों को धोने के बाद खुली धूप और हवा में सुखाएं। धूप न निकली हो तो आयरन करके उसे सुखाएं। इससे आप बच्चे को संक्रमण से बचा पाएंगे।
उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में दस्त और बुखार एक आम समस्या है। दस्त होने पर शरीर में पानी होने लगता है और वह सुस्त हो जाता है। ऐसे में बच्चे को लगातार ओआरएस देते रहें। इसे घर पर भी तैयार किया जा सकता है और बाजार में भी उपलब्ध है। बार-बार दस्त होने पर तत्काल किसी शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
कोविड-19 की तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका अब तक कोई एविडेंस नहीं है। पर यदि घर के बड़ों को संक्रमण होगा तो औरों की तरह वे भी संक्रमित हो सकते हैं। यह तो अच्छा है कि फिलहाल बच्चों की पढ़ाई और परीक्षा ऑनलाइन हो रही है। इससे खतरा कम हुआ है। संक्रमण के बाद बच्चे यदि सीरो पॉजिटिव हो गए हैं तो उनके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना काफी कम हो जाती है। उन्हें अलग से कोई खतरा नहीं है।