भिलाई। संजय रुंगटा ग्रुप आफ इन्स्टीट्यूशन्स द्वारा संचालित आरएसआर रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा सतत विकास के लिए ग्रीन कंप्यूटिंग पर एक विशेषज्ञ ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया। डॉ संजय कुमार, प्रोफेसर, प्रमुख और कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरिंग विभाग के डीन पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय वेबिनार के मुख्य वक्ता थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए हरित कंप्यूटिंग तकनीक, इसके विभिन्न पहलुओं और कार्यान्वयन की गहन जानकारी दी। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्बन उत्सर्जन दर को नियंत्रित करने और कम करने के विभिन्न तरीकों का भी वर्णनकिया।
ग्रीन कंप्यूटिंग कंप्यूटर और उनके संसाधनों का पर्यावरण के लिए जिम्मेदार और पर्यावरण के अनुकूल उपयोग है। व्यापक शब्दों में इसे कंप्यूटिंग उपकरणों के डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग, निर्माण, उपयोग और निपटान के अध्ययन के रूप में भी परिभाषित किया गया है जिससे उनके पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके। ग्रीन कंप्यूटिंग में प्रौद्योगिकी के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना शामिल है, जिसका अर्थ है कम ऊर्जा का उपयोग करना, कचरे को कम करना और स्थिरता को बढ़ावा देना। ग्रीन कंप्यूटिंग का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी और सिस्टम व्यवसाय और संबंधित उद्योगों द्वारा उत्पन्न कार्बन पदचिह्न को कम करना है। ऊर्जा दक्षता और ई.कचरा ग्रीन कंप्यूटिंग में शामिल दो प्रमुख तकनीकें हैं। इस वेबिनार सत्र में हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न प्रक्रियाओं और गतिविधियों को शामिल किया गया जो कार्बन उत्सर्जन में योगदान करती हैं। प्रदूषण और बहुत कम ऊर्जा की खपत, वास्तव में कंप्यूटर का उपयोग पर्यावरण प्रदूषण में एक बड़ी भूमिका निभाता है। यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में कंप्यूटरों को बिजली देने पर खर्च किए गए 250 अरब डॉलर में से केवल 15 फीसदी बिजली कंप्यूटिंग पर खर्च की जाती है। बाकी बेकार हो जाती है; यानी, कंप्यूटर द्वारा खपत जो उपयोग में नहीं हैं लेकिन फिर भी चालू हैं। खपत की गई ऊर्जा-2 उत्सर्जन का मुख्य कारण है। इस प्रकार कंप्यूटर हार्डवेयर और कंप्यूटिंग पर बचाई गई ऊर्जा प्रतिवर्ष बचाए गए कार्बन उत्सर्जन के बराबर होगी। इसका ताजा उदाहरण इंटेल की 2030 रणनीति में देखने को मिलता है। इंटेल के वैश्विक विनिर्माण कार्यों में शुद्ध सकारात्मक जल उपयोग, 100 प्रतिशत हरित शक्ति और लैंड फिल के लिए शून्य अपशिष्ट प्राप्त करने पर इंटेल निरंतर प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा इंटेल ने एक अत्यंत अनूठा घटक भी शामिल किया हैर- साझा जलवायु और सामाजिक लक्ष्य, जिसके लिए उद्योगों, सरकारों और समुदायों के साथ सहयोग की आवश्यकता होती है। व्याख्यान में विभिन्न महाविद्यालयों के संकाय सदस्यों, यूजी और पीजी छात्रों ने भाग लिया। छात्रों ने वेबिनार में गहरी रुचि लेते हुए भाग लिया।
प्राचार्य डॉ एसवी देशमुख डीन (एकेडमिक्सद्), डॉ लोकेश सिंह,0 विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश दुबे, आयोजक प्रो प्रतीक पांड्या, छत्तीसगढ़ के विभिन्न कॉलेजों के संकाय सदस्य और बड़ी संख्या में छात्रों ने वेबिनार में भाग लिया। ग्रुप चेयरमेन संजय रूंगटा और ग्रुप डायरेक्टर साकेत रूंगटा ने वेबिनार के सफल संचालन के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों को बधाई दी।