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स्वरूपानंद महाविद्यालय में सर्टिफिकेट कोर्स “बी द बी”

Jul 30, 2021
Soft Skill Training at SSSSMV

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा अठारह दिवसीय निशुल्क सॉफ़्ट स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेट कोर्स “बी द बी” संपन्न हुआ। कार्यक्रम की संयोजक संयुक्ता पाढ़ी विभागाध्यक्ष अंग्रेजी ने बताया कि वर्तमान परिपेक्ष्य में सफलता की कुजी का योग्य पात्र केवल वही हो सकता है जिसके पास बेहतर संवाद कौशल है। इस कार्यक्रम उद्देश्य संवाद कौशल का उन्नयन करना है। महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने विभाग की सराहना करते हुये कहा महाविद्यालय में बहुत से विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम से आते हैं जिन्हें अंग्रेजी बोलने में झिझक होती है इस प्रकार के प्रयास से विद्यार्थियों मे आत्मविश्वास जागृत होता है जो उनके व्यक्तित्व विकास के लिये आवश्यक है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि साफ्ट स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेट कोर्स माध्यम से विद्यार्थियों में संप्रेषण कौशल का विकास होगा जिससे उनमे आत्मविश्वास, आत्म नियंत्रण, अनुशासन, नेतृत्व क्षमता के गुण स्वतः विकासित होंगे। जिससे विद्यार्थी अपने विचारो को आत्मविश्वास के साथ प्रेषित कर सकें तथा केम्पस प्लेसमेंट यह कोर्स मील का पत्थर साबित होगा।
शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष एवं उप प्राचार्य डॉ अज़रा हुसैन ने इस कार्यक्रम के लिये अंग्रजी विभाग को शुभकामनाएं दी।
सर्टिफिकेट कोर्स के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि हेमचंद यादव यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने बताया की सॉफ़्ट स्किल एक व्यापक क्षेत्र है जिसमे सम्प्रेषण कौशल, श्रवण कौशल, टीम कौशल, सृजनात्मकता और तर्कसंगत समस्या निवारण कौशल तथा परिवर्तनशीलता आदि सम्मिलित है। शीर्षक की सराहना करते हुए कुलपति ने उसमे निहित कहानी को विद्यार्थियो के साथ साझा किया। मक्खी को केवल गन्दगी ही दिखती है जो नकारत्मक्ता का प्रतीक है। मधुमक्खी को केवल फूल दिखते है और वो उससे शहद बना लेती है और ये उसके सकारत्मक होने का प्रतीक है। उसी तरह हमे भी अपने सारात्माक पक्षों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। हमे मधुमक्खी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिये।
कार्यक्रम प्रभारी संयुक्ता पाढ़ी ने विभिन्न सत्रों में अपने प्रेजंटेशन के माध्यम से विद्यार्थियों को बताया कि कैसे आत्म निर्भर हो कर चुनौतियो का सामना किया जा सकता है। कार्य स्थल पर तथा निजी जीवन में आत्म नियंत्रण, अनुशासन तथा सच्चाई एवं सौहार्द्र का क्या महत्व है, स्वअभिप्रेरित होना, सीखने की ललक होना तथा नेतृत्व कौशल का विकास कैसे किया जा सकता है इन सभी कौशलों को समझाने के लिये उन्होने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, अल्बर्ट आईंसटाइन, न्यूटन, एलेक्जेंडर ग्राहमबेल, सुधा चंद्रन इत्यादि का जीवंत उदाहरण दिया तथा संक्षिप्त कहानियों के द्वारा व्याखानो को प्रभावकारी बनाया।
कार्यशाला में विशय विषेशज्ञ के रूप में डॉ तापस मुखर्जी प्राध्यापक अंग्रेजी शासकीय महाविद्यालय बोरी ने आत्मानुशासन, सहानुभूति, विचारों की गहराई आलोचनात्मक चिंतन, रचनात्मक लेखन कौशल आदि के बारे में बताया। जैसे एक अच्छा तैराक बिना पानी में उतरे तैरना नही सीख सकता वैसे ही साफ्ट स्किल को भी दैनिक जीवन में निरंतर अभ्यास करते-करते ही आत्मसात् किया जा सकता है।
डॉ शीला विजय स.प्रा. अंग्रेजी डॉ खूबचंद बघेल शासकीय महाद्यिालय भिलाई-3 ने नेतृत्व, कौशल, समूह कार्य, अभिव्यक्ति, समस्या निवारण कौशल, कार्य की नैतिकता के बारे में जानकारी देते हुए बताया वर्तमान समय में साफ्ट स्किल्स का महत्व उतना ही है जितना पाठ्यक्रम का।
डॉ सुजाता कोले स.प्रा. अंग्रेजी सेंट थामस महाविद्यालय भिलाई ने स्वनिर्देशन, गूमिंग कार्य में नैतिकता व अच्छाई पर अपने व्याख्यान में बताया वर्तमान समय में विद्यार्थियों को जानना आवश्यक है जब हम कार्य स्थल पर जाते है तब हमारे अंदर इन साफ्ट स्किल का होना अत्यंत आवश्यक है तभी हमारा प्रर्दशन उत्तम होगा। इसके साथ ही हमें तकनीकी ज्ञान भी होना आवश्यक है। उन्होने बताया की साफ्ट स्किल का होना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि सही समय पर उसका प्रर्दशन करना अनिवार्य है।
डॉ नीलम गांधी स.प्रा. वाणिज्य सेंट थामस महाविद्यालय ने आत्मविश्वास के महत्व को विभिन्न उदाहरणों के द्वारा समझाया। उन्होने पर्वतारोही अरूणिमा सिन्हा, धीरूभाई अंबानी, सुधाचंद्रन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उदाहरण देते हुए विद्यार्थियो में आत्मविश्वास का संचार किया। उन्होने कहा कि कभी-कभी गुच्छे की आखरी चाबी से ताला खुल जाता है। इसी तरह से लगातार कोशिश करते रहने से सफलता मिलती ही है।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने कहा कि इस प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्स विद्यार्थियों के लिये बहुत लाभप्रद होते है। विशेषतः वे विद्यार्थी जो हिन्दी माध्यम के है उसके लिये यह बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि इससे विद्यार्थी नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर उन्मुख होगें। विद्यार्थियों की प्रतिपुष्ठि से यह स्पष्ट है इस सर्टिफिकेट कोर्स से वे निश्चित रूप से लाभान्वित हुए है और आगे भी ऐसे सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन होते रहना चाहिए।
कोर्स में 148 विद्यार्थियों ने पंजीकरण करवाया। सर्टिफिकेट कोर्स के दौरान प्रत्येक सत्र के अंत मे दी जाने वाली असाईंमेट को विद्यार्थियो ने सक्रियता से संपन्न किया जिससे यह कार्यक्रम अंत्यंत प्रभावी एवं संतोषजनक रहा।
छात्रा कृती गुप्ता, बीएससी प्रथम वर्ष ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। तकनीकी विशेषज्ञ जानकी जन्घेल सहायक प्राध्यापक गणित तथा सुपर्णा भक्ता सहायक प्राध्यापक गणित सहयोग से कार्यक्रम का समापन सुचारू रुप से हुआ। कार्यक्रम मे महाविद्यालय के सभी विद्यार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।

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