तिरुवनंतपुरम। धार्मिक इमारतों की मरम्मत में लगे गोपालकृष्णन ने अब तक 111 मस्जिदों का निर्माण या पुनर्निर्माण किया है। मस्जिद ही क्यों? इसके जवाब में वे कहते हैं कि जहां का काम मिलता है, वहीं करते हैं। उन्होंने चार चर्चों का भी निर्माण किया है और एक मंदिर का भी निर्माण किया है। उल्लेखनीय यह है कि मस्जिद के निर्माण के लिए ईसाई ने भी पैसे दिये हैं। पर ये बातें बहुत पुरानी हैं।गोपालकृष्णन (85) केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में रहते हैं। उनके कार्यालय की टेबल पर श्रीमद् भगवद गीता, कुरान और बाइबिल एक साथ रखे मिल जाएंगे। धार्मिक, ऐतिहासिक इमारतों की वास्तुकला से गोपालकृष्णन का लगाव बचपन से रहा है। उन्होंने केरल में कई धार्मिक इमारतें बनवाई हैं। इनमें 111 मस्जिद, 4 चर्च और एक मंदिर हैं। सबसे ज्यादा आकर्षण पलायम जुमा मस्जिद का है। इसके पुनर्निर्माण के लिए एक ईसाई ने फंडिंग की थी। इसे दुनिया भर से लोग देखने आते हैं। वे जानना चाहते हैं कि कैसे एक हिंदू व्यक्ति ने ईसाई से फंड लेकर मस्जिद का पुनर्निर्माण कराया।
पलायम का जुमा मस्जिद लगभग 200 साल पुराना है। इसका निर्माण ब्रिटिश फौज ने करवाया था। इससे लगा हुआ एक मंदिर और एक चर्च भी है। 1813 में बना यह मस्जिद पहले छोटा था, 1824 में इसके आसपास की जमीन भी फौज ने खरीद ली और फिर अपने फौजियों के लिए मंदिर और चर्च का भी यहां निर्माण करा दिया।
गोपालकृष्णन कहते हैं- ‘वे 1962 की गर्मियों के दिन थे। पिता गोविंदन ठेकेदार थे। उन्हें पलायम जुमा मस्जिद के पुनर्निर्माण का ठेका मिला था। मैं निर्माणकार्यों में पिता के साथ रहता था। मैंने पैसों के लिए तत्कालीन एजी कार्यालय के अधिकारी पीपी चुम्मर से बात की। चुम्मर ईसाई थे। उन्होंने मुझे 5,000 रुपए उपलब्ध कराए। चुम्मर ऐसा कर बेहद खुश थे। उन्होंने मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए लोन दिलाने की योजना भी तैयार की थी। इस तरह एक हिंदू परिवार ने एक ईसाई के पैसे का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया।’ गोपालकृष्णन के मुताबिक पांच साल में मस्जिद बनकर तैयार हुई। मस्जिद का उद्धघाटन तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन ने किया।
गोपालकृष्णन कहते हैं- ‘जब 60 मस्जिदें बना लीं, तो दोस्तों ने पूछा कि चर्च क्यों नहीं बनाते। तब मैंने कहा कि जब लोग मुझसे कहते हैं, तब ही मैं धार्मिक इमारतें बनाता हूं। उसके बाद एक पादरी और कुछ लोग मेरे ऑफिस आए। उन्होंने मुझसे जॉर्ज आर्थोडॉक्स वलिया पैली चर्च बनाने का आग्रह किया। मैंने उस प्रोजेक्ट को पूरा किया। इस तरह भाईचारे का विचार मजबूत होता चला गया।’