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गांधी और मोदी ने भी बनाया हिन्दी को माध्यम : डॉ सुधीर शर्मा

Sep 14, 2021
Hindi Divas Observed in Kalinga University Raipur

भिलाई। कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय भाषा विज्ञानी डॉ सुधीर शर्मा ने आज कहा कि भारत पर राज हमेशा हिन्दी का रहा है और आगे भी रहेगा। आजादी के आंदोलन को देशव्यापी बनाने के लिये महात्मा गांधी ने हिन्दी का उपयोग किया। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हिन्दी के माध्यम से ही पूरे देश से जुड़े हुए हैं। वे कलिंग विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित हिन्दी दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 1975 से 1980 के बीच अधिकांश स्कूल कालेज हिन्दी माध्यम के थे। जो इंग्लिश मीडियम से पढ़ते थे कालेज आकर उन्हें भी हिन्दी से ही काम चलाना पड़ता था। 1990 में हालात बदले, वैश्वीकरण की बयार चली। कम्प्यूटर आ गए। लोगों को लगा कि अब तो सिर्फ इंग्लिश की ही चलेगी। पर सन 2000 के आते आते विश्व बाजार भी यह समझ गया था कि हिन्दी को अपनाए बिना तकनीकी का लोकव्यापीकरण संभव नहीं है। आज कम्प्यूटर, मोबाइल फोन, इंटरनेट सभी जगहों पर हिन्दी का राज है। कोरोना काल में इसकी उपयोगिता भी सिद्ध हो गई। उन्होंने कहा कि देश में हिन्दी माध्यम से चिकित्सा एवं अभियांत्रिकी की शिक्षा प्रारंभ हो चुकी है। आशा है कि आगे और भी विश्वविद्यालय इस कार्य को आगे बढ़ाएंगे। दुनिया भर के शिक्षाविदों का यह मानना है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए। जल्द ही मोबाइल इसके लिए भी तैयार हो जाएंगे।
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय की हिन्दी एवं कला विभाग की अध्यक्ष डॉ सुनीता वर्मा ने हिन्दी को शिक्षा एवं रोजगार की भाषा बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज भी प्रबंधन, चिकित्सा एवं अभियांत्रिकी पाठ्यक्रमों की पढ़ाई अंग्रेजी में ही होती है। इससे हिन्दी माध्यम के मेधावी छात्र भी असहज हो जाते हैं। मल्टीनेशनल कंपनियों के इंटरव्यू भी अंग्रेजी में होते हैं। नई शिक्षा नीति में हिन्दी को बढ़ावा देने की बात कही गयी है। पर बच्चों को हिन्दी पड़ाना तराजू पर मेंढक तौलने जैसा दुष्कर कार्य है। उन्होंने पुणे की सीडैक का उल्लेख करते हुए कहा कि हिन्दी के साफ्टवेयर बनाने में इस कंपनी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिससे कम्प्यूटरों पर काम करना आसान हो सका। हिन्दी की दुरावस्था के लिए उन्होंने अदालती मान्यताओं को भी दोषी ठहराया जहां अंग्रेजी के दस्तावेजों को ज्यादा महत्व दिया जाता है।
संस्कृत एवं हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान तथा शिक्षाविद डॉ महेश चन्द्र शर्मा ने शिक्षा में हिन्दी की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए प्रयासों की निरंतरता को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि देश विदेश की यात्रा, वहां संवाद स्थापित करने में हिन्दी कहीं भी आड़े नहीं आती है। बल्कि लंदन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में, पेरिस के ईफल टावर में देवनागरी लिपि में संस्कृत के वाक्य अंकित हैं। हिन्दी को सर्वाधिक चरित्रमयी भाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे जैसा बोला जाता है, वैसा ही लिखा जाता और वैसा ही पढ़ा जाता है। उन्होंने कहा कि उत्तर अमेरिकी में छत्तीसगढ़ियों ने नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन (नाचा) का गठन किया है और इसके माध्यम से हिन्दी को आगे बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हिन्दी का पाचन और वाचन बेजोड़ है। हम दूसरी भाषाओं के शब्दों को ग्रहण कर इसे और समृद्ध कर सकते हैं। आज दुनिया भर के 170 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है। इसकी जड़ों में संस्कृत का अमृत है। 2050 तक हिन्दी विश्व की सबसे ताकतवर भाषा हो जाएगी।
एमजे कालेज के सहायक प्राध्यापक एवं हिन्दी पत्रकार दीपक रंजन दास ने कहा कि हिन्दी अपनी गति से बढ़ रही है। इसे आगे बढ़ाने में आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं हिन्दी फिल्मी गानों का महत्वपूर्ण योगदान है। कम्प्यूटर और मोबाइल पर हिन्दी की उपलब्धता के पीछे उन्होंने बाजारवाद को कारण बताया। भारत की 140 करोड़ की आबादी से जुड़ने के लिए इसका कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि पुणे की सीडैक ने अब भले ही मंत्रा साफ्टवेयर बना लिया हो पर यह भी सच है कि सरकारी दफ्तरों में टाइपराइटरों पर काम करने वालों के लिए उसने हिन्दी का एक साफ्टवेयर बनाकर छोड़ दिया था। हिन्दी को मोबाइल और कम्प्यूटर पर आसान बनाने का काम गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने मिलकर किया। उन्होंने कहा कि अहिन्दी भाषियों को हिन्दी से जोड़ने के लिए हमें और उदार होना पड़ेगा।
कार्यक्रम का संचालन कलिंग विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग की अध्यक्ष रंजीता सिंह ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन शिक्षण शास्त्र संकाय की अधिष्ठाता डॉ हर्षा वाय पाटिल ने किया।

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