भिलाई। फार्मेसी डे पर एमजे कालेज में एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग के सहयोग से एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग की सहायक प्राध्यापक ममता सिन्हा ने इस अवसर पर कहा कि औषधि का बेधड़क प्रयोग एंटीबायोटिक के प्रति बैक्टीरिया में प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न कर रहा है। यह एक खतरनाक स्थिति है जिससे पूरी दुनिया जूझ रही है।उन्होंने बताया कि जनवरी 2016 से अक्तूबर 2017 के बीच एम्स ट्रामा सेंटर में करीब 22 मरीज ऐसे थे जो आखिरी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक्स कोलिस्टिन पर भी रेस्पांड नहीं कर रहे थे। ये सभी मरीज, मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट इंफेक्शन से पीड़ित थे। एम्स, सीएमसी वेल्लोर और अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के वैज्ञानिकों की तरफ से करवाई गई रिसर्च में बात सामने आई कि 22 में से 10 मरीजों की अस्पताल में दाखिल होने के 15 दिन के भीतर मौत हो गई। बाकी के 12 मरीजों को बचा तो लिया गया लेकिन करीब 23 दिनों तक उन्हें अस्पताल में रखना पड़ा।
इस स्टडी में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सभी 22 मरीज सिर्फ एंटीबायोटिक्स ही नहीं बल्कि कई दूसरी हाई एंड ड्रग्स जैसे कैरबेपेनम्स, एक्सटेंडेड स्पेक्ट्रम सीफालोस्पोरिन्स और पेनिसिलिन बी लैक्टामेज के प्रति भी रेजिस्टेंट थे। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि डाक्टर्स, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और पब्लिक हेल्थ ऑफिशियल्स सभी को मिलकर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म को फैलने से रोकने के प्रयास करने होंगे।
कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य संकाय के सहा. प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक दवा का एक डोज और कोर्स निर्धारित होता है। बिना डाक्टरी सलाह के दवा लेने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीडीएस का मतलब दिन में दो बार नहीं बल्कि 12-12 घंटे के अंतराल में ली जाने वाली दवा होती है। इसी तरह टीडीएस को 8-8 घंटे के अंतराल में तथा क्यूडीएस को 6-6 घंटे के अंतराल में लेना होता है। इसका निर्धारण दवा के असरदार रहने के वक्त के आधार पर किया जाता है।
कुछ दवाइयां ऐसी होती हैं जिनका लगातार उपयोग करने पर उसकी मात्रा बढ़ानी पड़ती है। कुछ दवाइयां ऐसी भी होती हैं जिनके लंबे समय तक सेवन करने पर उनका असर कम होने लगता है। इनके उपयोग के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए।