भिलाई। जगदगुरू शंकराचार्य कॅालेज ऑफ एजूकेशन में अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर सारे प्राध्यापकगण अपनी रूचि अनुसार एक घंटे तक विभिन्न प्रकार की पुस्तकें पढ़ीं। साक्षरता दिवस की विशेष थीम “मानव केन्द्रीत पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता डीजिटल विभाजन को कम करना“ पर चर्चा की। इस परिचर्चा में सर्वप्रथम प्राचार्य डॉ व्ही. सुजाता ने साक्षरता की गहराई पर कहा कि ह्युमन स्टेंडर्ड रिकवरी के लिए साक्षरता डिजिटल डिवाइड को कम करना है। डिजिटल साक्षरता के बारे में लोगों को अधिक जागरूकता पैदा करना है। विशेषकर कोरोना काल में डिजिटल माध्यम का अत्यधिक उपयोग करना है।
विभागाध्यक्ष मधुमिता सरकार ने जागरूकता की आवष्यकता पर बल देते हुए कहा कि साक्षरता का मतलब केवल पढना-लिखना या षिक्षित होना ही नहीं है बल्कि मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों का जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढावा देना है।
महाविद्यालय की सहा. प्राध्यापक राधा देवी मिश्रा ने कहा कि आज साक्षरता अनुकुलन पर्यावरण के लिए बहुत आवष्यक है। सहा. प्राध्यापक संतोषी चक्रवर्ती ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण महामारी के कारण बदले वैष्विक परिदृश्य में ऑनलाइन एजूकेशन जैसी नई चीज सामने आई है। आज इस अंतराष्ट्रीय साक्षरता डिजिटल माध्यम को शिक्षण प्रशिक्षण कार्य में उपयोग में लाना है। सहा. प्राध्यापक अमिता जैन ने व्यक्त किया कि साक्षरता न केवल लोगों को सम्मानपूर्वक जीना सिखाती है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाती है। साथ ही उन्होंने कहा कि एक शिक्षित समाज ही राष्ट्र के स्वर्णिम भविष्य को गढता है। अतः विकास के लिए साक्षरता आवश्यक है।
आज अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर हम सब संकल्प लें कि पढेंगे पढायेंगे शिक्षा की ज्योति हर घर तक पहुंचायेंगे। अंत में महाविद्यालय की ग्रंथालय प्रभारी पुष्पा पांडेय ने अपने शब्दों में व्यक्त किया कि केवल पढना लिखना या शिक्षित होना काफी नहीं है बल्कि यह लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाने और सामाजिक विकास का आधार भी है। इस परिचर्चा में महाविद्यालय के प्रशिक्षार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुडे़।