भिलाई। शासकीय नेहरू महाविद्यालय डोगरगढ़ एवं श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी के संयुक्त तत्वाधान् में पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया। नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ केएल टांडेकर के दिशा निर्देशन में आयोजन आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय विश्वविद्यालय भटिंडा, पंजाब के कुलपति डॉ राघवेंद्र पी तिवारी मुख्य आतिथि थे। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ रक्षा सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राघवेन्द्र पी तिवारी ने बताया की नयी शिक्षा नीति के तहत किस प्रकार शिक्षकों को अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाना चाहिए ताकि विद्यार्थयों का सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने कहा कि विद्यार्थयों में बदलाव तभी ला सकते हैं जब शिक्षक स्वयं में बदलाव लाएं।
डॉ रक्षा सिंह ने अपने उद्बोधन में संस्थागत कार्यप्रणाली पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे किसी संस्था के समस्त कर्मचारियों को एक टीम की तरह संगठित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक साथ मिलकर काम करने पर ही हम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कभी कभी संस्था प्रमुख को संस्था हित में सख्त होना पड़ता है। डॉ रक्षा सिंह ने इस कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए इस कार्यक्रम की सफलता की लिए मार्गदर्शन दिया।
प्रथम दिवस के मुख्य वक्ता डॉ असीम मुखर्जी ने अपने उद्बोधन में शिक्षा का सही अर्थ बताया की शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं है बल्कि छात्रों का सर्वांगीण विकास करना है। उनमे जिज्ञासा को जगाना है ताकि वो किताबों से बाहर भी ज्ञान को प्राप्त कर सकें। किसी विषय को पढ़ने के लिए कमरे उतने आवश्यक नहीं है जितनी की जिज्ञासा। अतः शिक्षा को हम सीमित अर्थ में नहीं ले सकते।
कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के कंप्यूटर विभाग की तूलिका चक्रवर्ती ने की। प्राचार्य डॉ के एल टांडेकर ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए उनकी अकादमिक उपलब्धियों से सभी को परिचित कराया। विशिष्ट अतिथि डॉ रक्षा सिंह का परिचय नेहरू महाविद्यालय की आईक्यूएसी प्रभारी डॉ श्रीमती इव्ही रेवती ने दिया। प्रथम दिवस के मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय इलाहबाद वाणिज्य विभाग डीन डॉ असीम मुखर्जी का परिचय श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के आईक्यूएसी प्रभारी डॉ राहुल मेने ने दिया।
कार्यक्रम का अंत तूलिका चक्रवर्ती ने आभार प्रदर्शन कर किया। उन्होंने कहा कि निश्चित ही इन उद्बोधनो से हमे प्रेरणा मिली है और हम अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाकर अपने लक्ष्य को पा सकते हैं।