भिलाई। क्या पिछले एक-डेढ़ साल में आपको एसिडिटी और गैस की समस्या एकाएक शुरू हुई है? इसका संबंध कोविड से हो सकता है। कोविड से रिकवर हुए लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं सता रही हैं। इसमें ऐसे भी लोग हैं जो कोविड पाजीटिव तो थे पर जिनमें इसका कोई जाहिर लक्षण नहीं था। पाचन की यह समस्या लंबी चल सकती है और इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ सकता है। यह कहना है कि हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ आशीष चंद्र देवांगन का।डॉ देवांगन ने बताया कि कोविड से रिकवर हुए 10-20 फीसद मरीजों में डायरिया की समस्या देखी गई। इसके लक्षण गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसे थे। 20-30 फीसदी लोगों में लिवर इंजाइम बढ़ा हुआ मिला। कुछ अन्य मरीजों में एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण भी देखे गए। देश भर में जुटाए गए आंकड़ों की मानें तो कोविड से संक्रमित 53 प्रतिशत लोगों में किसी न किसी तरह का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण देखे गए हैं। ऐसे कई प्रमाण मिले हैं जो इस ओर इशारा करते हैं कि कोविड की वजह से जठरांत्र समस्याएं बढ़ रही हैं। पाचन संबंधित किसी भी तरह की दिक्कत हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
डॉ देवांगन ने बताया कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस एक सांस संबंधित समस्या है। लेकिन यह वायरस उतना ही खतरनाक हमारी पाचन क्रिया के लिए भी है। दरअसल यह वायरस हमारे आंत में मौजूद हेल्दी सेल्स को भी नष्ट कर देता है।
कोरोना से पीड़ित मरीजों को कुछ लक्षण आम बने हुए हैं, जैसे खांसी, बुखार, स्वाद न आना, और स्मैल का चला जाना। कुछ अन्य लक्षणों में जी मिचलाना, भूख न लगना, पेट में ऐंठन, अम्ल प्रतिवाह, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सूजन और रक्तस्राव जैसे लक्षण शामिल हैं। यह समस्याएं गंभीर भी हो सकती है। इन्हें कम करने के लिए रोजाना एक सही डाइट का सेवन करें। पूरा पका हुआ भोजन लें। भोजन ज्यादा गर्म न हो। तला-भुना खाने से बचें। प्रोसेस्ड फूड का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें। थोड़ा शारीरिक श्रम करें, पैदल चलें। पानी का जितना हो सके सेवन करें।
डाक्टर की सलाह से रिकवरी के दौरान और ठीक होने के बाद भी प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक उत्पादों का सेवन करें। यह आपके आंत के अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करती हैं। आप चाहें तो दवाइयां या ओआरएस का भी सहारा ले सकते हैं। इससे आपके पाचन तंत्र में संतुलन स्थापित होगा।