भिलाई। कला के सच्चे साधक बिरजु महराज के निधन से एक युग का अंत हो गया है। उनके बिना कत्थक जगत की कल्पना ही नहीं की जा सकती। ये उद्गार स्व. बिरजु महाराज की अनुयायी एवं रायगढ़ घराने की प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना डॉ सरिता श्रीवास्तव ने व्यक्त किये। डॉ सरिता सम्प्रति शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, धनोरा दुर्ग में व्याख्याता हैं। उन्होंने बिरजु महाराज के साथ बिताए गण क्षणों को साझा किया है।
डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने बताया कि एक विश्वविख्यात कत्थक नृत्य विशेषज्ञ होने के साथ-साथ महराज एक अच्छे साधक, गुरू, पथप्रदर्शक एवं आत्मीय भाव से ओतप्रोत थे। बिरजु महाराज से उनका पहला परिचय सन् 1991 के जून माह में हुआ। वे बिरजु के नई दिल्ली स्थित कत्थक प्रशिक्षण केन्द्र में प्रवेश लेने पहुंची थीं। देशभर से 100 से अधिक कुशल कत्थक कलाकार प्रवेश के लिए आए थे। वे काफी नरवस थीं।
जब महाराज जी ने स्वयं साक्षात्कार लिया तो मानो उसके हाथ पैर काम ही नहीं कर रहे थे। उस समय वे केवल 18 वर्ष की थीं। अपने सामने कथक के विश्व स्तरीय कलाकार को देखकर वे चकित रह गयी। महाराज जी ने उनकी असहजता को महसूस कर लिया तथा अपने पास बुलाकर प्यार से सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – “निडर होकर आत्मविश्वास के साथ साक्षात्कार दो। मैं तुम्हारे साथ हूं।“
लगभग 35 मिनट तक चले साक्षात्कार में सरिता को आमद तथा मध्यताल के तोड़े, गत, परण आदि की प्रस्तुति देने को कहा गया तथा लगातार महाराज जी आनंदित होकर तालियां बजाते रहे। उनके आंखों में आशीर्वाद का भाव देखकर सरिता भावविभोर हो गयीं। अन्य आवेदकों का साक्षात्कार मात्र 10 मिनट तक चला। इससे मुझे अपनी सफलता का आभास हो गया था।
साक्षात्कार के परिणाम आने पर सरिता का नाम आवेदकों की चयन सूची में प्रथम स्थान पर था। दुर्भाग्यवश कत्थक प्रशिक्षण केन्द्र के महिला छात्रावास में स्थान रिक्त न होने के कारण वे अपना प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पायी। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ में कत्थक नृत्य में प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान सहित स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली सरिता श्रीवास्तव ने बाद में रायगढ़ घराने के प्रसिद्ध कत्थक नृत्य प्रशिक्षक पं. रामलाल से कत्थक के विभिन्न पहलुओं की शिक्षा प्राप्त की।
इसके बाद सरिता ने देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित कत्थक वर्कशॉप में हिस्सा लेकर बिरजु महाराज जी से कत्थक की बारीकियां सिखी। इसी के फलस्वरूप गुवाहाटी, असम में आयोजित अंर्तविष्वविद्यालयीन युवा उत्सव में पं. रविषंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर का प्रतिनिधित्व करते हुए पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया। बिरजु महाराज जी के भोपाल, लखनउ, नागपुर, अमरावती, दिल्ली, इंदौर आदि शहरों में आयोजित प्रषिक्षण वर्कशॉप में हिस्सा लेने वाली डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने बताया कि महाराज जी की सहजता, विनम्रता तथा कत्थक के प्रति निष्ठा ही उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक ले गई।