दुर्ग। पद्मश्री फुलबासन बाई यादव ने आज कहा कि महिलाओं को घर के बाहर निकलकर अपनी क्षमताओं का उपयोग करना चाहिए। महिलाएं एक दूसरे का सहयोग कर आगे बढ़ें तो कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने स्वयं अपना उदाहरण देते हुए कहा कि कहां तो खाने को नहीं था और आज ढाई लाख महिलाएं उनसे स्व सहायता समूहों के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हैं। इनके खाते में बचत का राशि 40 करोड़ से अधिक हो गई है।
पद्मश्री फुलबासन आज हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक से पहले आनंद विहार कालोनी, बोरसी में महिलाओं को संबोधित कर रही थीं। रीता श्रीवास्तव एवं राजेश श्रीवास्तव के व्यक्तिगत आग्रह पर यहां पहुंची फुलबासन बाई यादव ने कहा कि हालांकि उनका आधा जीवन भयंकर अभावों के बीच बीता है पर पैसों का लोभ उन्हें आज भी नहीं है। यहां तक कि ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में मिली 50 लाख रुपए की नगद राशि को भी उन्होंने अपने आश्रम के लिए दान कर दिया है। यह आश्रम गरीब निराश्रित महिलाओं की सहायता करेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय महिला का जीवन पहले पिता, फिर पति और अंत में बेटों की मर्जी पर निर्भर करता है। वो भले ही सेवा करे पर उसकी सेवा कोई नहीं करता। इसलिए महिलाओं को चाहिए कि वे सबसे पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। उन्होंने अपनी दिनचर्या साझा कर लोगों को इसके लिए प्रेरित भी किया।
इस अवसर पर प्रख्यात समाजसेवी एवं दुर्ग निगम की एल्डरमेन रत्ना नारमदेव ने समाज सेवा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए आनंद विहार कालोनी की महिलाओं के प्रयासों को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि पद्मश्री फुलबासन को आमंत्रित कर महिलाओं को प्रेरित करने की यह कोशिश व्यर्थ नहीं जाएगी।
पुलिस काउंसलर, कवयित्री एवं पूर्व प्राध्यापक कल्याण महाविद्यालय डॉ अंजना श्रीवास्तव ने इस अवसर पर महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला। पार्षद गायत्री साहू ने इस कार्यक्रम को सभी महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी बताया। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी से जुड़ी रीता श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर रिंकी खण्डेलवाल, शीतल माटे एवं इंदु माहुरकर, अंजना दीक्षित, विनीता एम कुमार, शबनम, माधुरी शर्मा सहित कालोनी की अनेक महिलाएं अपने परिवार के साथ उपस्थित थीं। धन्यवाद ज्ञापन सोसायटी के श्री साहू ने किया।