दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में गर्मी को देखते हुए आज पंक्षियों हेतु घेरधा का निर्माण कराया गया तथा जगह-जगह पर पानी एवं दाने की व्यवस्था की गई। महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. आर. एन. सिंह ने यह जानकारी देते हुये कहा प्राणियों की सुरक्षा करना हमारा परम धर्म है । गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है। मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है, लेकिन मूक पशु-पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है। इस गर्मी में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए लोगों को प्रयास करना चाहिए गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत पानी की कमी के कारण हो जाती है। लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आसपास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनकी जिंदगी बचा सकता है।
सुबह आंखें खुलने के साथ ही घरों के आस-पास गौरेया, मैना व अन्य पक्षियों की चहक सभी के मन को मोह लेती है। घरों के बाहर फुदकती गौरेया बच्चों सहित बड़ों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। गर्मियों में घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें। जिले में गर्मी बढ़ने लगी है। यहां का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस पार हो गया है। आने वाले सप्ताह और जेठ में और अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है। गर्मी में मनुष्य के साथ-साथ सभी प्राणियों को पानी की आवश्यकता होती है। मनुष्य तो पानी का संग्रहण कर रख लेता है, लेकिन परिंदे व पशुओं को तपती गर्मी में यहां-वहां पानी के लिए भटकना पड़ता है। पानी न मिले तो पक्षी बेहोश हो कर गिर पड़ते हैं। पक्षियों के भोजन कीड़े-मकोड़े गर्मियों में नमी वाले स्थानों में ही मिल पाते हैं। खुले मैदान में कीड़ों की संख्या कम हो जाती है, जिससे पक्षियों को भोजन खोजने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। जंगलों में पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं, साथ ही जल स्त्रोत भी सूख जाते हैं।
प्राचार्य महोदय ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों से आग्रह किया कि गर्मी में अपने घरों के बाहर, छतों पर पानी के बर्तन रखें और हो सके तो छतों पर पक्षियों के लिए छाया की व्यवस्था भी करें। पक्षियों के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा संतुलित रहे, इसके लिए पानी मे गुड़ की थोड़ी मात्रा मिलानी चाहिए। इससे गर्मी में तापमान से राहत मिलती है और शरीर में पानी की कमी नहीं होती। वहीं मवेशियों के लिए भी कोटना अपने घरों के सामने रखना चाहिए जो वेस्ट वाटर घर से बाहर फेंका जाता है, वह कोटना में डाल दें तो मवेशियों को भी पानी मिल सकता है। क्या करें उपाय घरों के बाहर पानी के बर्तन भर कर टांगें, या बड़ा बर्तन अथवा कोटना पानी भरकर रखें, जिससे मवेशी व परिंदे पानी देखकरआकर्षित होते हैं। छत में भी पानी की व्यवस्था करें, छायादार जगह बनाकर वहां पानी के बर्तन भर कर रखें। पक्षियों के लिए चना, चावल, ज्वार, गेंहूं आदि जो भी घर में उपलब्ध हो उस चारे की व्यवस्था छतों में करें। कम पानी वाले जलस्रोतों को गंदा न करें, इससे पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था हो सकती है। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डाॅ. जगजीत कौर सलूजा, डाॅ. अजय सिंह, डाॅ. अनिल पाण्डेय, डाॅ. के. पदमावती, डाॅ. प्रज्ञाकुल कर्णी, डाॅ. तरलोचन कौर, डाॅ. प्रज्ञा कुलकर्णी, डाॅ. संजू सिन्हा एवं मुख्य लिपिक संजय यादव, उपस्थित रहे।