भिलाई। शहरी गौठान कोसानगर इन दिनों स्वसहायता समूहों की आजीविका का साधन बना हुआ है। यहां गोबर से खाद आदि बनाने के साथ ही इस कैंपस का उपयोग फायटोराइट पद्धति से मछली पालन के लिए भी किया जा रहा है। स्वसहायता समूह की महिलाएं गौठान में मछली पालन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। महापौर नीरज पाल शासन की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत गौठान में मछली पालन को बढ़ावा दे रहे हैं।
आयुक्त प्रकाश सर्वें ने गौठान में आजीविका मूलक गतिविधियों के तहत मछली पालन के लिए हरसंभव संसाधन जुटाए हैं। गौठान में इन दिनों फायटोराइट पद्धति के उपयोग से मछली पालन की शुरूआत की गई है। इसके लिए बनी डबरी को तालाब का रूप दिया गया। यहां अंबर स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा मछली पालन किया जा रहा है। गौठान में बीएसपी से आने वाले गंदे पानी को उपयोगह लायक बनाया गया है। गंदे पानी को टैंक में लाकर इकट्ठा किया जा रहा है। उसके बाद इस गंदे पानी को अलग-अलग खंडों से गुजारा जा रहा है, जहां गंदा पानी फाइटोराइट विधि से शुद्ध हो रहा है।
समूह की महिलाओं ने बताया कि इस पद्धति में गंदे पानी को पहले संपवेलनुमा टैंक में लाया जा रहा है। उसके बाद खंड व घेरानुमा सूखी टंकी में पत्थर रखा गया है व उनमें जलीय पौधे लगाए गए हैं। इन जलीय पौधों से गुजरते वक्त गंदे पानी का शुद्धिकरण हो रहा है। साफ पानी टंकी में संचित हो रहा है, जिसका उपयोग मछली पालन के लिए किया जा रहा है।
महिलाओं ने बताया कि तालाब में पानी भरने के पूर्व उसमें खाद व मुर्गी की पोटी डाली है। तालाब में तलबिया मछली का बीज डाला गया है। तालाब में खाद से बनी काई मछलियों के पलने-बढ़ने में सहायक हो रही है। काई व मुर्गी की पोटी उनके चारे के रूप में काम आ रही है। चारे के रूप में 20 दिनों की आड़ में सरसों खली भी डाली जा रही है। ये मछलियां गर्मी के सीजन में तीन महीने पूरी तरह ग्रोथ हो जा रही है। वहीं बरसात के दिनों में ये 6-7 महीने में ग्रोथ होगा। आयुक्त प्रकाश सर्वे समय-समय पर मछली पालन का निरीक्षण कर रहे हैं व महिलाओं को अधिक से अधिक रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रहे है।