भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में हाइडेटिड सिस्ट का एक मामला पकड़ में आया। ये गांठ एकाइनोकॉक्कस नाम के एक परजीवी के संक्रमण से होता है जो कुत्तों एवं अन्य मवेशियों में पाया जाता है। मरीज को खांसी और सांस फूलने की शिकायत थी। जांच करने पर उसके फेफड़ों, हृदय की झिल्ली तथा लिवर में हाइडेटिड सिस्ट पाए गए। मरीज के हृदय की सर्जरी कर दी गई है जबकि लिवर की सर्जरी छह सप्ताह बाद की जाएगी।
हाइटेक के इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आकाश बख्शी ने बताया कि एकाइनोकॉक्कस एक सूक्ष्म फीताकृमि है जिसका आकार 2 से 7 मिमी का होता है। कुत्तों के शरीर में ये परिपक्व होते हैं तथा प्रजनन करते हैं जबकि अन्य पशुओं के शरीर में ये लंबे समय तक बने रह सकते हैं। इंसान के शरीर में पहुंचकर ये फेफड़े, हृदय की झिल्ली, धमनियों की दीवारों, लिवर तथा अन्य आर्गन्स तक पहुंचकर वहां घर बना लेते हैं। इसके बाद इनका आकार बढ़ने लगता है। रोगी कमजोर होने लगता है और उसे कई प्रकार की स्वास्थ्य दिक्कतें शुरू हो जाती हैं।
उन्होंने बताया कि 50 वर्षीय इस मरीज के फेफड़े, हृदय की झिल्ली और रक्त ले जाने वाली महाधमनी की दीवारों के साथ ही हमें उसके लिवर में भी हाइडेटिड सिस्ट मिले। फेफड़े, हृदय की झिल्ली और महाधमनी से इसे हटाने के लिए हृदय की सर्जरी करनी पड़ी। शहर के वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ रंजन सेनगुप्ता ने सफलता पूर्वक आपरेशन कर हृदय की झिल्ली, फेफड़े और महाधमनी की दीवारों से सिस्ट को निकाल दिया है। मरीज की एक और सर्जरी होगी। छह सप्ताह बाद गैस्ट्रो सर्जन डॉ नवील शर्मा मरीज के लिवर से इन सिस्ट्स को हटाएंगे।
डॉ बख्शी ने बताया कि हाइटेक में कार्डियक सर्जरी की सभी सुविधाएं, कुशल एवं अनुभवी इंटेंसिविस्ट, उच्च प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की उपलब्धता के चलते ये प्रोसीजर संभव हो पा रहे हैं। पिछले लगभग डेढ़ माह में यह हृदय से जुड़ी तीसरी बड़ी सर्जरी थी। इससे पहले एक 28 वर्षीय महिला की एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी) की सर्जरी की गई। महिला गर्भधारण नहीं कर पा रही थी। जांच के दौरान उसकी यह समस्या सामने आई थी। एक अन्य मामला एक अधेड़ आयु के ऑटोचालक का था। वह ट्रिपल वेसल डिजीज का शिकार था। हृदय की तीनों मुख्य धमनियों में रुकावट थी। मरीज के आगे पीछे कोई नहीं है। उसकी बाइपास सर्जरी कर दी गई। मरीज अब सकुशल अपने काम पर लौट गया है।