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शौच में खून का मतलब सिर्फ बवासीर नहीं होता, कराएं जांच

May 31, 2022
Three cases of polypectomy at Hitek

भिलाई। शौच में खून जाने से अधिकांश लोग कूदकर इस नतीजे पर पहुंच जाते हैं कि बवासीर हो गया है। वे खुद ही इसका इलाज भी शुरू कर देते हैं। पर यह पॉलिप हो सकता है जो आगे चलकर कैंसर में तब्दील हो सकता है। इसकी जांच एवं इलाज बेहद आसान है। पिछले 15 दिनों में हाइटेक में पॉलिप के तीन मरीजों का इलाज किया गया।
हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ आशीष कुमार देवांगन ने बताया कि पॉलिप और बवासीर दो एकदम भिन्न चीजें हैं। बवासीर आम तौर पर गुदा द्वार के पास ही होता है। इसे बाहर से ही बिना किसी उपकरण की मदद के देखा जा सकता है। पॉलिप गुदा मार्ग की भीतरी दीवारों पर बनते हैं। बल्ब जैसी आकृति के पॉलिप की जांच कोलोनोस्कोप की मदद से की जाती है। इसका इलाज बेहद आसान है। पालिप को काटकर निकाल दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि आम तौर पर पॉलिप का कोई लक्षण नहीं होता। यह काफी समय तक बिना किसी लक्षण के पड़ा रह सकता है। अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइंस के मुताबिक 50 से अधिक उम्र के लोगों को साल में कम से कम एक बार कोलोनोस्कोपी जांच करवानी चाहिए ताकि पॉलिप की उपस्थिति को नकारा जा सके। जिनके परिवार में कोलोन कैंसर के मामले होते हैं, उन्हें 40 की उम्र के बाद साल में कम से कम एक बार इसकी जांच अवश्य करा लेनी चाहिए।
केसों की चर्चा करते हुए डॉ देवांगन ने कहा कि इनमें से एक पुलिस का उच्च अधिकारी था। उन्होंने इसे पाइल्स (बवासीर) समझ लिया था। कोलोनोस्कोपी करने पर दो बड़े पॉलिप निकले जिन्हें निकाल दिया गया। दो अन्य मामलों में से एक जहां अधेड़ आयु का पुरुष था वहीं दूसरा एक युवा था।
उन्होंने कहा कि जांच एवं सर्जरी की यह पूरी प्रक्रिया दर्दरहित होती है। इससे कोलोन कैंसर के मामलों की रोकथाम की जा सकती है। कोलोन कैंसर होने पर इसका इलाज न केवल लंबा चलता है बल्कि रोगी को अनेक असुविधाओं से गुजरना पड़ता है जिससे जीवन प्रत्याषा और जीवन की गुणवत्ता दोनों कम हो सकती है।
Pic credit : clinicalgastroenterology & researchgate

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