• Fri. Mar 29th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

आदिवासी गोदना डिजाइनों की ओर लौट रहे युवा, मिल रहा प्रशिक्षण

Aug 12, 2022
Bastar Tatoo designs spreading wings

जगदलपुर। गोदना एक बेहद प्राचीन परम्परा है। हिन्दी फिल्मों में भी इसका खूब इस्तेमाल किया गया है। पर भारतीय गोदना आकृतियों पर विदेशी डिजाइन हावी होते चले गए। लोग तरह-तरह के जीव जंतुओं का गोदना (टैटू) बनाने लगे। इससे शरीर के एक बड़े भाग को आच्छादित किया जाने लगे। बस्तर प्रशासन ने टैटू की इस लगातार बड़ी होती दुनिया का दोहन करने की तैयारी कर ली है। अंतर केवल यह है कि इसमें बस्तर की पारम्परिक गोदना आकृतियों को नई पद्धति से लगाया जा रहा है। युवाओं को इसके लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है।
बस्तर के कलाकारों का एक समूह इस गोदना कला को आधुनिक युग में टैटू कला के रूप में पुनर्जीवित करने के लिए जुट गया है। जिला प्रशासन बस्तर ने युवाओं को विशेष प्रशिक्षकों के माध्यम से मशीन के जरिए बस्तरिया टैटू बनाने का प्रशिक्षण दिलाया है। इससे युवा न केवल रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि इसका प्रचार-प्रसार कर विलुप्त हो रही गोदना कला को भी संरक्षित कर रहे हैं। आदिवासियों की धारणा है कि गोदना मृत्यु के बाद भी शरीर में रहता है। गोदना शरीर को बुरी शक्तियों और बीमारियों से भी बचाता है।
गोदना-गोदनी, बाना-बानी
शैलेंद्र श्रीवास्तव (शैली) बस्तरिया टैटू का प्रशिक्षण देते हैं। उन्होंने विभिन्न। जनजातियों के पारंपरिक गोदना कलाकृतियों का चयन किया। इन्हीं कलाकृतियों को आधार बनाकर बस्तरिया टैटू सिखाया जा रहा है। आदिवासियों की मान्यता है कि माथे के बीच और नाक के बीचों बीच गोदना करने से प्राकृतिक आपदा से बचाकर रखते हैं। शादी के संस्कार, देवी-देवताओं से जुड़े प्रमुख त्योहारों में गोदना करने वाली महिलाओं को पहले पंक्ति में रखा जाता है। गोदना कला को समृद्ध गोदना कला, गोदनी, बाना और बानी के नाम से भी जाना जाता है।
अब बबूल का कांटा नहीं, मशीन से बनता है गोदना
बादल संस्थान की प्रभारी पूर्णिमा सरोज ने बताया कि पहले आदिवासी अरंडी के तेल से काजल बनाते थे और फिर सुई या बबूल का कांटा इस्तेमाल करके शरीर में गोदना करते थे। यह शरीर के विभिन्न अंगों पर किया जाता था। अब इस कला को आधुनिक टैटू कला से जोड़ लिए हैं। टैटू की स्याही स्थायी नहीं होती है। पहले जो गोदना किया जाता था वह पूरी तरह से स्थायी होते थे जो आजीवन रहते थे।
बनाया प्रशिक्षण के लिए माड्यूल
आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रायपुर की आयुक्त शम्मी आबिदी ने बताया कि आदिवासियों में गोदना कला पुरातन है। छत्तीसगढ़ की आदि कला पर पुस्तक तैयार की गई है जिसमें गोदना विधि और अलग-अलग जनजातियों के गोदना कलाकृतियों का उल्लेख किया गया है। राज्य की खैरवार, पंडो, मुंडा, उरांव, कंवर, बिंझवार, भैना, सौंता, कोल, कंडरा, सवरा, पारधी, भुंजिया, गोंड, धुरवा, दोरला और भतरा आदिवासियों की ओर बनए जा रहे पारंपरिक गोदनाकृति से लेकर दीवारों पर बनाई जाने वाली कलाकृतियों व बांस, रस्सी के शिल्पाकृतियों को भी पुस्तक में प्रशिक्षण माड्यूल के रूप में समाहित किया है।
जिला प्रशासन ने बस्तर एकेडमी आफ डांस आर्ट एंड लिटरेचर (बादल) की मदद से आदिवासियों की लोक संस्कृति को संरक्षित करने के मुहिम छेड़ी है। अभी तक 44 आदिवासी युवाओं ने गोदना कला को टैटू का रूप देने के लिए प्रशिक्षण लिया है। इसमें हलबा, भतरा, मुरिया, कोया, मुंडा जनजाति के शामिल हैं। प्रशिक्षण के बाद अधिकांश युवाओं ने बस्तरिया टैटू कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया है। वे जगदलपुर और उसके आसपास पर्यटन महत्व के स्थानों पर स्टाल लगा रहे हैं।
बस्तर के बास्तानार विकासखंड के बड़ेकिलेपाल गांव की मािडया जनजाति की ज्योति ने बताया कि मई-जून में जिला प्रशासन की मदद से गोदना कला से टैटू बनाने का प्रशिक्षण लिया है। वह बीएससी की छात्रा है। उसने अपना खुद का काम शुरू किया। बस्तरिया टैटू को युवाओं में भारी क्रेज है। टैटू बनाने से आमदनी हो रही है।
संदीप बघेल (24) और चार अन्य युवाओं के प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात के सामने एक छोटा टैटू बनाने का स्टाल लगाया है, यह स्थल पर्यटकों के बीच लोकप्रिय स्थान है। धनुष-तीर जैसे पारंपरिक गोदना बदलती दुनिया में लुप्त होती जा रही है क्योंकि लोग आधुनिक टैटू डिजाइनों की ओर अधिक आकर्षित होते हैं। पर अब गोदना के टैटू भी युवाओं को भा रहे हैं।

युवाओं को कर रहे हैं प्रशिक्षित
बस्तर के कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा, गोदना कला को लेकर जिला प्रशासन ने युवाओं को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम शुरू किया है। कुछ युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, कुछ को अभी देना है। इसका मकसद यही है कि आदिवासियों की कला-संस्कृति, शिल्पकला आदि को सहेजा जा सके। (ऩई दुनिया से साभार)

Display Pic Credit : AuthIndia.com

Leave a Reply