जगदलपुर। 7 साल के पिताम्बर मांझी को जब अस्पताल लाया गया था तो वह नीम बेहोशी की स्थिति में था। उसे मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। उसके दोनों फेफड़ों में निमोनिया था और बालक रेस्पिरेटरी फेल्यर के साथ ही पेरिफेरल सरेकुलेटरी इंसफिशिएंसी का शिकार था। 140 घंटे वेंटीलटर पर रहने के बाद अब उसकी हालत स्थिर है। बालक 100 घंटे बाद कोमा से बाहर आया था।
इस बालक के चचेरे बड़े भाई की मौत भी अचानक अज्ञात बीमारी से हो गई है। भाई की मौत के बाद मासूम को गंभीर अवस्था में कोमा के हालात में मेकाॅज के चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती किया गया था। पीडियाट्रिशयन डा अनुरूप साहू ने बताया कि सुकमा जिले के छिंदगढ़ में रहने वाले 7 वर्षीय पिताम्बर को 3 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में लाया गया था। जब बच्चे को हास्पिटल लाया गया था तब उसकी स्थिति बेहद गंभीर थी। बच्चे को जब वार्ड में भर्ती किया गया तो वह बेहोशी की हालत में था। बच्चे की हालात बेहद नाजुक थी और वह सांस भी नहीं ले पा रहा था। ऐसे में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया और उसका ट्रीटमेंट शुरू किया गया। इसके बाद लगातार बच्चे को लाइफसेंविग दवाइयां दी गई जिसका असर हुआ।
उसे करीब 140 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा गया 100 घंटे कोमा में रहने के बाद पितांबर होश में आ गया है। मेकाॅज के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट का यह अपने आप में रिकार्ड है। पितांबर के परिजनों ने बताया कि कुछ दिनों पहले ही पितांबर के चचेरे बड़े भाई योगेश की मौत भी अचानक हो गई थी। योगेश की सेहत अचानक बिगड़ी इसके बाद उसे छिंदगढ़ हास्पिटल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया।
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