भिलाई। गॉल ब्लैडर स्टोन का दर्द एक आम समस्या है. दर्द कभी होता है तो कभी गायब हो जाता है. इसी के चलते लोग इसे सीरियसली नहीं लेते. आज-कल करते मामला टलता रहता है और फिर एक दिन मुसीबत आ जाती है. 77 वर्षीय प्रकाश चन्द्र ठाकुर के साथ भी ऐसा ही हुआ. गॉल बैल्डर पेट में फट गया और पित्त बिखर गया. हाईटेक में उनकी लैप सर्जरी की गई तथा पित्त को साफ कर पित्ताशय को निकाल दिया गया.
श्री ठाकुर को भी गॉल स्टोन की समस्या थी पर दर्द कभी कभार ही होता था. डाक्टर ने भी कहा था कि इसकी सर्जरी करवा लें पर इसमें अर्जेंसी जैसी कोई बात नहीं थी. लिहाजा आज-कल करते-करते मामला टलता चला गया. कुछ दिन पहले एकाएक उन्हें बहुत तेज दर्द उठा और फिर कई तरह की समस्याएं एक-के-बाद-एक खड़ी होती चली गईं. तब जाकर उन्होंने हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल से सम्पर्क किया.
लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि दो-तीन पहले जो भीषण दर्द हुआ था, वह संभवतः गॉल ब्लैडर फटने का था. इसके बाद पित्त लिवर के आसपास बिखर कर चिपक गया. यदि पित्त अन्य अंगों तक पहुंच जाता तो स्थिति गंभीर हो सकती थी. तत्काल मरीज की दूरबीन पद्धति से सर्जरी की गई और पित्त की थैली के साथ ही लिवर पर चिपके पित्त को सावधानी पूर्वक हटा दिया गया. हाइपरटेंशन के इस मरीज की स्ट्रोक की भी हिस्ट्री थी. मरीज अब पूर्ण स्वस्थ है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.
डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि पित्त की थैली में एक बार पत्थर बनने की पहचान हो गई तो बिना विलम्ब किये उसे निकाल देना चाहिए. पित्ताशय की पथरी को गलाया नहीं जा सकता और न ही यह कहीं से निकल सकता है. बल्कि निकलने की कोशिश में ही यह मुसीबत खड़ी करता है. इसलिए मरीज भ्रमित न हों. यह एक छोटी सी सर्जरी है जिसका कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं है. लापरवाही अकसर मरीज को भारी पड़ती है और इमरजेंसी की नौबत आ जाती है. मरीज की जान को भी खतरा हो जाता है.