दंतेवाड़ा। दक्षिण बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में गीदम-बारसूर मार्ग पर फणी-नाग का मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना नागवंशी राजाओं ने की थी। विशेष अवसरों पर यहां पूजा अर्चना करने के अलावा युद्ध के लिए रवाना होने से पूर्व भी यहां पूजा अर्चना की जाती थी। आज भी यहां नागपंचमी के अवसर पर अखड़ा खेला जाता है, पहलवाल जोर आजमाइश करते हैं। वन विभाग ने इस इलाके में सर्पों की विभिन्न प्रजातियों की उपस्थिति को देखते हुए यहां पशु चराई को प्रतिबंधित कर दिया है। यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है।
बस्तर के बाल सूर्य (वर्तमान बारसूर) में गंगवंश के पतन के बाद दक्षिण के नागवंशी राजाओं का आधिपत्य हो गया। दक्षिण के राजाओं ने यहां कई मंदिरों का निर्माण भी करवाया जिसके साक्ष्य आज भी बारसूर में देखने को मिलते हैं। शैव उपासक इस राजवंश द्वारा भगवान शिव और उनके गणों के मंदिरों के निर्माण कर मूर्तियां स्थापित की गई है। नागफनी का मंदिर अब राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित हैं। जनश्रुति के अनुसार नागवंशी राजा एवं उनकी पत्नियां इस नाग मंदिर में विशेष अवसरों पर पूजा अर्चना करती थीं। राज्य विस्तार युद्ध के लिए जब राजा निकलते थे तब भी इस नाग मंदिर में पूजा अर्चना करते थे।
नाग मंदिर का मुख पश्चिम की ओर है एवं 11 वीं एवं 12 वीं शताब्दियों की मूर्तियाँ हैं। प्रवेश द्वार के बाँयी ओर भगवान नरसिम्हा एवं दाँयी ओर नृत्यांगना की मूर्ति स्थापित है। मूर्तियों की उँचाई लगभग 2-3 फीट उँची है। गर्भगृह में बाँयी ओर नाग नागिन की मूर्ति है, दाँयी ओर गणेश की मूर्ति व शिलाखण्ड में द्वारपाल की मूर्ति स्थापित है। अंतिम गर्भगृह में नाग नागिन की मूर्ति, गणेश की मूर्ति व अन्य देवी-देवाताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर में भगवान गणेश, सूर्यदेव, शेषनाग सहित नागों की कई मूर्तियां हैं। पहले यह मूर्तियां खुले में पड़ी थीं। ग्रामीणों ने यहां मंदिर बनवाकर उन्हें सुरक्षित किया।
नागलोक है नागफनी
पुजारी परिवार के सदस्य प्रमोद अट्टामी ने बताया कि बस्तर के नागवंशीय राजा नागों की पूजा किया करते थे। यहां के जंगलों में नागों को संरक्षण मिला हुआ है। नाग की हत्या करने वाले ग्रामीण को दंडित किया जाता है, इसलिए नागफनी क्षेत्र में भुजंगों की भरमार है। नाग पंचमी के दिन नागफनी में आयोजित वार्षिक मेला और यज्ञ नाग और नागिन को समर्पित है।
जैव विविधता की सुरक्षा जरूरी
सीसीएफए वन वृत्त जगदलपुर मोहम्मद शाहिद के अनुसार नागफनी क्षेत्र में जंगल में बहुमूल्य वनौषधियों की प्रचुरता और जीव-जंतुओं की बहुलता है इसलिए इनके संरक्षण और संवर्धन के के लिए यहां वनक्षेत्र को लोक संरक्षित घोषित कर चराई प्रतिबंधित किया गया है।
कैसे पहुँचे-
राष्ट्रीय राज्यमार्ग 43 रायपुर से जगदलपुर राष्ट्रीय राज्यमार्ग 16 जगदलपुर से गीदम 76 किलो मीटर गीदम से बारसूर राज्य मार्ग पर नागफनी गाँव 11 किलो मीटर दंतेवाड़ा से नागफनी 23 किलो मीटर है। प्रतिदिन बस टैक्सियाँ उपलब्ध है। दो पहिया वाहन से भी सीधे पहुँचा जा सकता है। यह नाग नागीन मंदिर नागफनी गाँव में बारसूर मार्ग के किनारे स्थित है।