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गर्भ से लेकर मृत्यु शैय्या तक महिलाओं के लिए कई कानून – सरिता दास

Sep 30, 2022
Workshop on POCSO Act in SSSSMV

स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में पाक्सो एक्ट पर शिविर

भिलाई. स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आईक्यूएसी, राष्ट्रीय सेवा योजना एवं आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के संयुक्त तत्वावधान में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया जिसमें अतिरिक्त जिला न्यायधीश सरिता दास ने पाक्सो एक्ट से संबंधित जानकारी दी. कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रुप में प्राचार्य डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला उपस्थित हुई. नोडल अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना संयुक्ता पाढ़ी ने कहा कि आज लड़कियों को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना जरुरी है तथा जो कानूनी संरक्षण उन्हें दिये गये है उसका सही उपयोग कर अपने विरुद्ध हो रहे अन्याय को रोक सकती है.
अपने उद्बोधन में सरिता दास ने बताया महिलाओं को गर्भ से लेकर मृत्यु शैय्या तक अनगिनत अधिकार दिये गये है. हमें इसकी जानकारी होना चाहिये क्योंकि जानकारी से ही बचाव का रास्ता खुलता है. उन्होंने बताया गर्भवती स्त्री का भ्रूण परीक्षण करना गैर कानूनी है अगर कोई ऐसा करता है तो डॉक्टर व परिजन को पॉच वर्ष की सजा हो सकती है. लड़कियों को 12वीं तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार है लड़कियों को शिक्षा में समान अधिकार देने के लिये सुकन्या समृद्धि योजना, बालिका समृद्धि योजना, राज्य सरकार द्वारा नोनी सुरक्षा योजना चलाई जा रही है.
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिये पाक्सो एक्ट 2012 लाया गया. इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन अपराध और छेडछाड़ के मामले में तवरित कार्यवाही की जाती है. महिलाओं को दहेज के लिये उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498(ए) के तहत पति, रिश्तेदारों द्वारा दहेज मांगने पर तीन साल की कैद और जुर्माना हो सकता है. श्रीमती दास ने बताया किसी महिला का शारीरिक, मानसिक, भावात्मक शोषण अगर परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है उसे घरेलू हिंसा माना जाता है तथा घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 2005 के तहत सजा हो सकती है. उन्होंने महिलाओं को प्राप्त संपत्ति पर अधिकार की जानकारी दी.
प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने बताया हमें अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होना होगा साथ ही लोगों को भी जागरुक करना होगा. अगर हमारे परिवार के सदस्यों का व्यवहार हमारे साथ आपत्तिजनक है तो उसका विरोध करना चाहिये व परिवार के सदस्यों को बतायें यह नहीं सोंचना चाहिए कि लोग हमें ही गलत समझेंगे हम भी समाज का हिस्सा है दूसरे के साथ अगर गलग होता है तो उसका भी विरोध करें नहीं तो अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे. बहुत अच्छे विषय पर कार्यक्रम आयोजन के लिये बधाई देते मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा अभी नवरात्रि चल रहा है जिस स्त्री को हम मॉं दुर्गा के रुप में पूजते है उस मॉं दुर्गा रुपी महिला का अनादर करते हैं. महिलाओं के संदर्भ में समाज का दृष्टिकोण दो प्रकार का है एक महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के पक्षधर है तो दूसरी महिलाओं को पुरुषों ने निम्नत्तर समझ उसके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है.
कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर सरिता दास ने दिया. कार्यक्रम का संयोजन डॉ. शिवानी शर्मा आईक्यूएसी प्रभारी, सप्रा उषा साहू प्रभारी आंतरिक शिकायत समिति, सप्रा संयुक्ता पाढ़ी राष्ट्रीय सेवा योजना नोडल अधिकारी ने किया. कार्यक्रम में सभी संकायों के प्राध्यापक व विद्यार्थी सम्मिलित हुए कार्यक्रम में मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन सप्रा संयुक्ता पाढ़ी विभागाध्यक्ष अंग्रेजी ने किया.

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